*रायडीह प्रखंड कार्यालय में काटे गए यूकोलिप्टस वृक्षों को लेकर मांगी गई जानकारी उपलब्ध नहीं कराने पर आरटीआई कार्यकर्ता ने उप विकास आयुक्त सह प्रथम अपीलीय अधिकारी से मांग की*

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*गुमला मुख्यालय सहित जिले भर में नियमों को ताक में रखकर पदाधिकारियों ने करोड़ों रुपए के यूकोलिप्टस वृक्षों को पातन कर किलोग्राम के भाव में बिना मूल्यांकन निविदा कर बेच डाला*

* झारखण्ड फॉरेस्ट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड रांची निगम से आएं वन प्रमंडल पदाधिकारी के नाम दिशानिर्देश की धज्जियां उड़ाई गई है*

* सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार निविदा कर्ता ने विभाग की मिलीभगत से जीएसटी की चोरी की है*

झारखण्ड/गुमला- रायडीह प्रखंड सह अंचल कार्यालय परिसर में यूकोलिप्टस वृक्षों का गलत तरीके से बिक्री एवं राजस्व की चोरी को लेकर मांगी गई जन सूचना अधिकारी 2005 के तहत समय सीमा से जानकारी उपलब्ध नहीं कराने पर आरटीआई कार्यकर्ता अजय कुमार शर्मा ने गुमला उप विकास आयुक्त सह प्रथम अपीलीय अधिकारी से निःशुल्क जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी देने की मांग की है। यहां बताते चलें कि रायडीह प्रखंड सह अंचल कार्यालय परिसर में यूकोलिप्टस वृक्षों का पातन एवं बिक्री से लेकर प्राप्त राजस्व, ‌‌ मूल्यांकन कॉपी वन विभाग या सक्षम पदाधिकारी से एवं झारखंड फॉरेस्ट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड रांची निगम से प्राप्त निर्देश पर नहीं करने या करने सहित निविदा सूचना की प्रकाशित अखबार की छायाप्रति की मांग एवं अंचलाधिकारी रायडीह एवं निविदाकर्ता के बीच एग्रीमेंट सहित कांटा घर की वजन की छायाप्रति की मांग की गई थी। यहां बताते चलें कि गुमला जिले में सरकारी कार्यालयों एवं स्कूलों में भारी संख्या में यूकोलिप्टस वृक्षों का पातन लकड़ी माफिया एवं पदाधिकारियों की मिलीभगत से की गई है वहीं निविदा सूचना का प्रकाशन दैनिक अखबारों में भी नहीं किया गया है और ना ही सरकार की गाइडलाइंस का ख्याल रखा गया है । यहां बताते चलें कि झारखंड सरकार की आंखों में धूल झोंक कर नाम मात्र के लिए टेंडर प्रक्रिया और बिना मूल्यांकन के औने-पौने दाम मे निविदाकर्ताओं की मिलीभगत से यूकोलिप्टस की कटाई गुमला मुख्यालय के परिसदन से लेकर रायडीह प्रखंड कार्यालय,चैनपुर प्रखंड कार्यालय, पालकोट प्रखंड कार्यालय, घाघरा प्रखंड कार्यालय, में की गई है और झारखण्ड सरकार को राजस्व का चूना लगाया गया है।
इस अवैध तरीके से सरकारी राजस्व का नुक़सान पहुंचाने पर रोक लगाने के लिए गुमला उपायुक्त को भी लिखित आवेदन देकर आदिवासी छात्र संघ के अशोक कुमार भगत ने आवाज लगाई थी। वहीं जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 से भी मांगी गई सूचना पर कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं कराने में वैसे सरकारी कार्यालयों के पदाधिकारियों ने चुप्पी साध ली है।

इस संबंध में गुमला वन प्रमंडल पदाधिकारी अहमद बेलाल अनवर ने कहा है कि हमारें विभाग ने जिला के उच्च अधिकारियों को स्पष्ट किया था कि सरकारी कैंपस में यूकोलिप्टस वृक्षों की कटाई के लिए जो भी आदेश मांगी गई थी उसे कैंसिल कर कहा गया था कि सरकारी कैंपस में लगे किसी भी प्रकार के वृक्षों का पातन की जिम्मेवारी संबंधित विभाग को होगी और इसमें किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई के लिए वे स्वयं जिम्मेदार होंगे। इससे वन प्रमंडल को कुछ लेना-देना नहीं होगा।

वहीं झारखण्ड फॉरेस्ट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड रांची से सम्पर्क करने पर कहा गया है कि विभाग से पत्राचार किया गया है और फिर भी पदाधिकारियों ने दिए गए दिशा-निर्देश की अवहेलना की है तो यह जूडिशल मामला बन सकता है यदि कोई इस बिषय को पूरे साक्ष्य के साथ मामले को लेकर आते हैं तो वैसे पदाधिकारियों पर निगम कार्रवाई करने शुरू कर देंगे।