मयूरहंड (चतरा): मोंथा चक्रवात के कारण लगातार चार दिनों से हो रही बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। गाँवों की गलियों से लेकर खेतों तक चारों ओर पानी ही पानी दिखाई दे रहा है। खेतों में खड़ी धान की फसलें जलमग्न होकर बर्बाद हो गई हैं, वहीं सब्ज़ियों और अन्य फसलों को भी भारी नुकसान हुआ है। लगातार बारिश से ग्रामीण सड़कों पर जलजमाव, मवेशियों के लिए चारे की किल्लत और खेतों में खड़े फसलों की सड़न जैसी समस्याएँ किसानों की चिंता बढ़ा रही हैं। कई जगहों पर धान की कटाई हो चुकी थी और किसान फसल को सुखाने की तैयारी में थे — लेकिन भारी बारिश ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया।
किसानों का कहना है कि अगर एक-दो दिन में बारिश नहीं थमी, तो धान की पूरी फसल खत्म हो जाएगी। कई खेतों में हवा के झोंकों से फसलें गिर गई हैं, जिससे उत्पादन पर भी असर पड़ेगा।किसानों ने सरकार से तत्काल मुआवज़ा और राहत सहायता की माँग की है। उनका कहना है कि यह प्राकृतिक आपदा न केवल फसलों को, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति को भी हिला देने वाली है।🌾 “धान तो गया… अब घर कैसे चलेगा?” — एक किसान की आह ने इस तबाही की तस्वीर साफ़ कर दी।
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