*भक्तिमय हुआ आंजनधाम महोत्सव कार्यक्रम भजन-कीर्तन हवन एवं श्रद्धालूओं द्वारा पूजा-अर्चना के साथ ही एक शाम आंजनधाम के नाम कार्यक्रम में भंडारा का आयोजन किया गया* * भगवान हनुमानजी की जयकार के साथ ही माता अंजनी की जयकार से गुंजायमान हुआ आंजनधाम की पहाड़ी*

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झारखण्ड/गुमला – गुमला जिले के लिए ही नहीं बल्कि विश्व में जाना जाने लगा है आंजनधाम जहां भगवान हनुमानजी जी की जन्मस्थली है और माता अंजनी की गोद में बालरूपी हनुमानजी की प्रतिमा ऊंची पहाड़ी पर प्रतिमा स्थापित है।

आज 12 जनवरी को युवा दिवस पर एक शाम आंजनधाम महोत्सव कार्यक्रम भजन-कीर्तन हवन एवं श्रद्धालूओं द्वारा पूजा-अर्चना करते हुए प्रारंभ किया गया और इस मौके पर हजारों भक्त तैयारियां कर आंजनधाम में माता अंजनी पुत्र हनुमानजी की बालरूपी प्रतिमा का पूजा-अर्चना करते हुए मन्नतें मांगी। गुमला से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित है हनुमानजी की जन्मस्थली आंजनधाम जहां पर अब प्रतिदिन सुबह वक्त से लेकर शाम वक्त तक सिर्फ झारखंड से ही नहीं बल्कि देश के कोने-कोने से लोग एक बार आंजनधाम के लिए आने लगे हैं और सौन्दर्य घटाओं के साथ ही ऐतिहासिक धार्मिक स्थल पर पहुंचे हुए होते हैं आंजनधाम को विश्व की पटल पर सुर्खियां पर लाने के लिए प्रत्येक वर्ष 12 जनवरी को युवा दिवस पर भव्य आयोजन करते हुए इस महोत्सव में देश के प्रधानमंत्री से लेकर राज्य के मंत्रियों को आंजनधाम महोत्सव में आने का आमंत्रण पत्र देकर आंजनधाम को और विकसित करने की कवायद शुरू कर दी गई है यहां बताते चलें कि आंजनधाम जो कभी पहाड़ी के रास्ते से होकर बड़ी मुश्किल से लोग पहुंच पाते थे अब आंजनधाम जाने के लिए सुगम मार्ग उपलब्ध है यह इलाका रिजर्व फॉरेस्ट में आते हैं और आंजनधाम का विकास के लिए वन प्रमंडल पदाधिकारी गुमला को इस ऐतिहासिक धार्मिक स्थल आंजनधाम का कायाकल्प करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है पहाड़ी में गुफानुमा में भी माता अंजनी एवं पुत्र हनुमानजी की प्रतिमा श्रद्धालूओं के लिए मन्नतें पूरी करते हैं। आंजन धाम में आदिवासी समुदाय भी काफी संख्या में पूजा-अर्चना करने के लिए खासकर मंगलवार को काफी श्रद्धा के साथ आते हैं और माता अंजनी से अपनी मुराद पूरी करने के लिए मन्नतें मांगते हैं।

आंजन धाम को धार्मिक स्थल एवं पर्यटन स्थल के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार से लोगों को काफी आस है और यदि आंजनधाम को सरकार यदि चाहें तो एक धार्मिक पर्यटन स्थलों में चिंहित करते हुए कायाकल्प कर सकती है पर्यटन स्थल के साथ ही धार्मिक स्थल पर इस आदिवासी बहुल इलाके में रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।