
झारखण्ड/गुमला: मिसिर कुजूर निर्दलीय प्रत्याशी झामुमो एवं भाजपा दोनों के लिए गुमला विधानसभा सीट के लिए चुनावी मैदान में एक चैलेंज की तरह सामने आ रहे हैं यहां बताते चलें कि 2019 के विधानसभा चुनाव में मिसिर कुजूर भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में झामुमो प्रत्याशी भूषण तिर्की को कड़ी टक्कर देते हुए बहुत ही कम करीब 8 हजार के आस-पास के अंतर से चुनाव में पराजित हो गए थे और अब गुमला से टिकट की दावेदारी मिसिर कुजूर को भाजपा ने नहीं देते हुए पूर्व सांसद सुदर्शन भगत को भाजपा ने गुमला विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी बनाते ही भाजपा के चर्चित युवा नेता मिसिर कुजूर ने भाजपा से बगावत कर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में जोर-शोर से लग कर झामुमो विधायक सह प्रत्याशी भूषण तिर्की एवं भाजपा प्रत्याशी सुदर्शन भगत दोनों के लिए एक चैलेंज बनकर चुनावी मैदान में सामने खड़े नजर आ रहे हैं यहां बताते चलें कि गुमला विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस झामुमो गठबंधन से यह सीट झामुमो के लिए चली गई है और विगत विधानसभा चुनाव 2019 के नतीजे साफ बताते हैं कि भाजपा बनाम झामुमो में काफी कम अंतर से हार-जीत का आकलन किया गया है।
यहां बताते चलें कि गुमला विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी सुदर्शन भगत एवं झामुमो विधायक सह प्रत्याशी भूषण तिर्की सहित अन्य प्रत्याशियों ने भी विधानसभा चुनाव 2024 के इस महाकुंभ में डुबकी लगाने के लिए चुनावी मैदान में अपने-अपने चुनावी रणनीति तैयार कर चुनाव प्रचार-प्रसार शुरू कर दी है उसमें से एक युवा नेता मिसिर कुजूर जहां भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर पार्टी से बगावत कर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतर कर भाजपा को परेशानी में डाल दी है जबकि भाजपा ने गुमला सीट से झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 में मिसिर कुजूर को चांस दिया था और करीब आठ हजार वोटों से झामुमो विधायक भूषण तिर्की से चुनाव हार गए थे। इस विधानसभा चुनाव 2024 में भी मिसिर कुजूर टिकट लेने के लिए अपनी दावेदारी पेश कर दी थी लेकिन टिकट पूर्व सांसद सुदर्शन भगत को मिला।
यहां बताते चलें कि भाजपा के बागी निर्दलीय प्रत्याशी मिसिर कुजूर के लिए जहां यह चुनाव उनके राजनीतिक कैरियर के लिए अहम् बना हुआ है तो वहीं दम-खम के साथ चुनावी मैदान में डटे रहने से भाजपा प्रत्याशी सुदर्शन भगत एवं झामुमो विधायक सह प्रत्याशी भूषण तिर्की दोनों को लेकर चले तो निर्दलीय प्रत्याशी मिसिर कुजूर उनके वोट-बैंक में जबरदस्त तरीके से उलट-फेर करने की ताकत चुनावी मैदान में रखें हुए हैं।