दल बदलुओं का मौसम, पार्टियों में घूम-घूमकर अपनी हैसयित बताते है और होते हैं धन्य, संदर्भ चतरा लोकसभा चुनाव…

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न्यूज स्केल टीम
चतरा। आज की राजनीति का रंग-रूप पूर्णरुपेण बदल चुका है। अब का चुनाव व प्रत्याशी और समर्थकों का प्रचार पहले जैसी नहीं रही। अदि पुराने जमाने के गुजर चुके नेता अगर गलती से दोबारा जिंदा हो जाएं तो ऐसे हालात देखकर अपना सिर धर लें। आज के समय में राजनीति बदली है और बदले की राजनीति भी शुरू हो गई है। पहले दलबदल हुआ करता था, यहां तक तो गनीमत थी। तब का नेता सुबह एक पार्टी में होता था। दोपहर होते-होते पुरानी पार्टी का मैल अंतरात्मा की आवाज के साबुन से रगड़-रगड़ कर छुड़ाता था। फिर अगली सुबह नई पार्टी ज्वाइन करता था। तब राजनीति की भी अपनी कुछ मान-मर्यादाएं हुआ करती थीं। ऐसी हरकत को गिरी निगाहों से देखा जाता था और उसे दलबदलू कहा जाता था। आयाराम-गयाराम की उपाधि से विभूषित भी किया जाता था। उस नेता की विश्वसनीयता संदिग्ध समझी जाती थी। उसके चरित्र को राजनीति लायक नहीं समझा जाता था। आज की राजनीति में उलटने-पलटने को बुरी नजर से नहीं देखा जाता है। उलटे बुरी नजर से देखने वाले का ही मुंह काला दिखलाई देने लग जाता है। अब जात के प्रत्याशी के हिसाब से समर्थन में पार्टी में दलबदलु शामिल होत हैं और जाती के आधार पर वोट भी मांगते हैं।

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