न्यूज स्केल संवाददाता
चतरा। पीसीपीएनडीटी को लेकर एकदिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन गुरुवार को किया गया। ऑनलाइन आयोजित कार्यशाला में उपस्थित अपर मुख्य सचिव तथा मिशन डायरेक्टर ने भ्रृण हत्या पर रोक लगाने को लेकर दिए सख्त निर्देश। उन्होंने यह भी कहा की विशेष तौर पर वैसे लोग जिनका अल्ट्रासाउंड अथवा क्लीनिक चलता हो ऐसे लोगों को पीसीपीएनडीटी कमिटी में शामिल नहीं करने का निर्देश दिया। आगे कहा कि कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि क्लीनिक अथवा अस्पताल में प्रैग्नेंट महिला आती तो हैं, परन्तु उसकी डिलीवरी की कोई जानकारी नहीं हो पाती है। उन्होंने कहा कि कहीं ऐसा तो नहीं होता है कि उसका गर्भपात करा दिया जाता है। उन्होंने कहा कि इसकी जांच सिविल सर्जन गहनता से करें। इसके लिए गर्भवती महिलाओं का रजिस्टर हरेक अल्ट्रासाउंड सेंटर में अलग से खोलने की बात उन्होंने कही। आगे कहा कि इस गलत कार्य में कहीं ना कहीं स्वास्थ्य विभाग के कर्मी संलिप्त हैं। इसमें चाहे एएनएम हों जीएनएम हो, सहिया हो या फिर कोई और सबकी मिलीभगत होती है। कार्यशाला के दौरान सभी अल्ट्रासाउंड संचालकों से अपने केंद्र में उस डॉक्टर के फोटो के साथ सर्टिफिकेट लगाने को कहा गया। जिसके नाम से लाइसेंस लिया गया है। वहीं जिस रूम में अल्ट्रासाउंड होता हो वहां किसी भी पुरुष, महिला यहां तक कि देवी या देवता तक का फोटो (स्टेचू) आदि नहीं लगाने का सख्त हिदायत दिया। इसके अलावा प्रत्येक माह के 5 तारीख को रिकॉर्ड ऑनलाइन भरने के साथ ऑफ लाइन सिविल सर्जन कार्यालय में जमा करने की बात कही। उन्होंने कहा कि अगर किसी का लाइसेंस रद्द हो जाता है तो पुनः उसे चालू नहीं किया जा सकता है। उसके स्थान पर उसे नया लाइसेंस लेना होगा। लाइसेंस रिन्युवल के दौरान भी संचालक को पुनः सभी कागजात प्रस्तुत करने को कहा। यह भी कहा अगर कोई भी अल्ट्रासाउंड संचालक अपने यहां डॉक्टर अथवा अल्ट्रासाउंड मशीन बदलना चाहता है तो उसे कम से कम एक महीना पहले सिविल सर्जन कार्यालय को लिखकर देना होगा। इसके अलावा उन्होंने अन्य कई निर्देश दिए। कार्यशाला में सिविल सर्जन डॉ. दिनेश कुमार, डीएस डॉ. मनीष लाल, राज्य नोडल पदाधिकारी, सभी जिलों के सहायक नोडल पदाधिकारी सभी अल्ट्रासाउंड संचालक के साथ मैनेजिंग कमिटी के सदस्य आदि उपस्थित थे।