झारखण्ड फॉरेस्ट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड से पत्राचार कर गाइडलाइन जारी जबकि नियमों की अनदेखी कर सरकारी कार्यालयों के परिसर में यूकोलिप्टस वृक्षों से राजस्व संग्रहण के नाम पर अवैध तरीके से वृक्षों की नीलामी और बिक्री से नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं पदाधिकारी – आदिवासी छात्र संघ

Ajay Sharma
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झारखण्ड/गुमला -गुमला के सरकारी पदाधिकारी समन्वय समिति की आड़ में नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए राजस्व की हेराफेरी लकड़ी माफिया से मिलकर करने में मशगूल हो गए हैं यह बताते हुए आदिवासी आदिवासी छात्र संघ के जिलाध्यक्ष अशोक कुमार भगत ने कहा है कि जिले में सरकारी कार्यालयों के परिसर नियमानुसार संबंधित विभाग लधु वन पदार्थ प्रमंडल से पत्राचार को दरकिनार करते हुए आम नीलामी प्रक्रिया जिसमें भी खामियां तो है ही अपने निजी आवास में लगे वृक्षों की तरह सरकारी कार्यालयों में लगे वृक्षों को बेचने के लिए राजस्व संग्रहण की जगह अपना राजस्व संग्रहण किया जा रहा है और इस अवैध तरीके से आम नीलामी प्रक्रिया में जिला के उच्च अधिकारियों को सामने रखकर ट्रकों में भरकर नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से यूकेलिप्टस वृक्षों को बेचने वाले पदाधिकारी बन कर सामने आ रहे हैं यहां बताते चलें कि गुमला जिले के बिशुनपुर थाना में लगे यूकेलिप्टस वृक्षों को लेकर वन प्रमंडल पदाधिकारी गुमला द्वारा निगम को पत्राचार किया गया था और नियमानुसार वृक्षों को काटने और बिक्री करने के लिए सारे नियमों को लेकर चला गया है वहीं दूसरी तरफ देखा जाए तो गुमला जिले के रायडीह, प्रखंड परिसर में भी यूकोलिप्टस वृक्षों को लेकर गुमला वन प्रमंडल पदाधिकारी गुमला से पत्राचार किया गया था और इसके लिए लधु वन पदार्थ प्रमंडल रांची से गुमला डीएफओ के यहां रायडीह प्रखंड परिसर में लगे हुए वृक्षों को लेकर गाइडलाइन जारी किए गए हैं लेकिन सारे कानून कायदे को ताक पर रखकर अंचलाधिकारी द्वारा निकाली गई आम नीलामी प्रक्रिया को लेकर चले तो अवैध तरीके से आम नीलामी वृक्षों का पातन एवं बिक्री करने की प्रक्रिया की गई है और इसकी सूचना वन प्रमंडल पदाधिकारी गुमला को लेकर नहीं और ना ही वन प्रक्षेत्र पदाधिकारी चैनपुर रायडीह कुरूमगढ रेंज पदाधिकारी को बुलाई गई नीलामी में जगह दी गई है बस एक फॉरेस्टर को प्रतिलिपि प्रेषित कर रायडीह थाना प्रभारी एवं अंचलाधिकारी द्वारा निकाली गई आम नीलामी प्रक्रिया से रायडीह प्रखंड परिसर में युकोलिप्टस वृक्षों का पातन एवं बिक्री करने का काम किया गया है इस मौके पर अंचलाधिकारी द्वारा डीएफओ से मूल्यांकन करा दस वृक्षों को मूल्यांकन दर पर ही बेच दिया गया है जबकि हकीकत यह है कि इस संबंध में वन प्रमंडल पदाधिकारी गुमला का कहना है कि उनके द्वारा कोई भी मूल्यांकन किलोग्राम में और ना ही किसी तरह से मूल्यांकन किया गया है और सबसे बड़ी बात है कि वन प्रमंडल द्वारा लकड़ी का दाम किलोग्राम में नहीं बल्कि घनमीटर में दिया जाता है। नीलामी प्रक्रिया में चारों तरफ से भ्रष्टाचार की गंध है और साथ ही सबकुछ रायडीह अंचलाधिकारी द्वारा नियम बनाकर वृक्षों को लकड़ी माफिया से मिलकर आधा तेरा और आधा मेरा वाली कहावत चरितार्थ हो गई है और सबसे बड़ी बात है कि सरकारी भूमि पर लगें हुए वृक्षों का पातन एवं बिक्री के लिए एक नियमावली बनाई गई है लेकिन ऐसा कुछ नहीं देखा जा रहा है गुमला जिला समन्वय समिति द्वारा झारखंड राज्य फॉरेस्ट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड से अनुमति मांगी गई है या नहीं यह तो बनाई गई समन्वय समिति जानती होगी यहां बताते चलें कि यूकेलिप्टस वृक्षों को लेकर संबंधित विभाग एवं सरकार द्वारा घोषित किया गया है कि जल स्तर बढ़ाने के लिए यूकेलिप्टस वृक्षों का पातन की छूट दी गई है लेकिन यह रैयतों की भूमि पर लगें वृक्षों को लेकर गाइडलाइन जारी है और इस छूट को लूट बनाकर झारखंड सरकार को राजस्व का चूना लगा रहे हैं सरकारी पदाधिकारी एवं समन्वय समिति द्वारा टेंडर प्रक्रिया में हेराफेरी, वृक्षों को बेचने वाले पदाधिकारी एवं लकड़ी खरीदने वाले माफिया दोनों में कोई फर्क नहीं रह गया है। यहां बताते चलें कि रायडीह प्रखंड कार्यालय परिसर एवं बिशुनपुर प्रखंड परिसर, परिसदन गुमला- में लगे हुए वृक्षों को भी नियमानुसार संबंधित विभाग से अनुमति लेनी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ है और औने-पौने दामों में बिना मूल्यांकन के वृक्षों को बेचने का काम किया गया है। इस मामले को लेकर यदि संबंधित विभाग संज्ञान लेकर कार्रवाई नहीं कर सकते हैं तो मामला न्यायालय ने लेकर जानें की सुगबुगाहट तेज हो गई है।

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