चतरा। इस आधुनिक युग में जहां लोग चांद पर पहुंच रहे हैं और सरकारें डिजिटल इंडिया की बांते करती हैं, वहीं जिले के हंटरगंज प्रखंड अंतर्गत सलैया गांव के ग्रामीण बरसात के दिनों में जुगाड़ टेक्नोलाजी के सहारे आवागमन करने को मजबूर हैं। ऐसी स्थिति गांव पास से बहने वाली दुमुहान नदी पर पुल नहीं होना है। जबकी ग्रामीण पुल निर्माण की मांग लंबे समय से करते या रहे हैं। पर ग्रामीणों की मांगों को लेकर जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारी उदासीन रहे हैं। नदी पर पुल नहीं रहने के कारण ग्रामीण बिजली के खंभों को पाट कर जैसे तैसे आवागमन करते हैं। स्कूली बच्चों को सबसे अधिक परेशानी झोलनी पड़ती है। बरसात में गांव में निवास करने वालों की चिंता बढ़ जाती है। वाहनों का परिचालन बंद हो जाता है और इस आधुनिक युग में भी सलैया गांव टापू बन जाता है। आपात परिस्थितियों में उसी जुगाड़ टेक्नोलाजी से अवागमन होता है। विडंबना यह है कि बरसात के दिनों में स्कूली बच्चों से लेकर महिलाएं, पुरुष एवं बुजुर्ग सभी खंभों के सहारे हीं जान जोखीम में डाल कर नदी पार करते हैं। सबसे विकट स्थिति तब होती है, जब कोई इस दौरान बीमार पड़ता है। उस समय मात्र खाट के सहारे नदी पार कराना ही एक मात्र विक्लप रहता है। नदी के दुसरी तरफ सरकारी विद्यालय उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय, दुमुहान है। सलैया और आसपास गांव के बच्चे उक्त स्कूल में शिक्षा ग्रहण करते हैं। तेज बारिश होने पर नदी में बाढ़ आ जाती है। बाढ़ में बच्चों का बिजली के खंभों के सहारे नदी पार करना जोखिम भरा होता है।