संस्कार निर्माण का प्रशिक्षण देता है आरएसएस का प्राथमिक शिक्षा वर्गः  जिला संघ चालक

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संस्कार निर्माण का प्रशिक्षण देता है आरएसएस का प्राथमिक शिक्षा वर्गः  जिला संघ चालक

टंडवा(चतरा)। एक सप्ताह  से चल रहे प्राथमिक शिक्षा वर्ग में सहभागी स्वयंसेवकों  को संबोधित करते हुए मोतीलाल जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रमों में भाग लेने से स्वयंसेवकों के अंदर कार्यकर्ता का गुण विकसित होता है। वह अपने से अधिक राष्ट्र को महत्व देने लगता है। हम जो विचारधारा लेकर चले वह इस देश की विचारधारा थी। हम विचार का प्रचार कर रहे थे। हमारा प्रमुख उद्देश्य समाज को राष्ट्रीय विचारधारा पर खड़ा करना है। इस विचारधारा के अभाव में यह देश 800 वर्षों तक पराधीन रहा। वर्तमान समय में प्रखर हिंदूवादी लोगों की संख्या समाज में बहुत अधिक है। भले ही वह संघ से न जुड़े हो। समाज का हर वह व्यक्ति जो राष्ट्र के लिए समर्पित है। राष्ट्र की विचारधारा से जुड़ा है। समाज में हिंदुत्ववादी विचारधारा का तेजी से प्रचार-प्रसार बढ़ा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 में हुई थी। तब से संघ लगातार समाज के निर्माण में अपनी महती भूमिका निभा रहा है। जब संघ प्रारम्भ हुआ, तो संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार स्की सोच थी कि अनुशासन तथा समूह भावना के निर्माण में सैन्य प्रशिक्षण सहायक हो सकता है, पर वे स्वयं इस बारे में नहीं जानते थे। इसलिए वे अपने सम्पर्क के कुछ पूर्व सैनिकों को बुलाकर रविवार की परेड में यह प्रशिक्षण दिलवाते थे। इसीलिए प्रारम्भ के कुछ वर्ष तक संघ में सेना की तरह अंग्रेजी आज्ञाएं, क्रॉस बैल्ट, कंधे पर आर.एस.एस का बैज आदि प्रचलित थे। ऐसी ही वेशभूषा पहने डॉ. हेडगेवार का एक चित्र भी बहुप्रचलित हैं। संघ के विकास और विस्तार के साथ क्रमशः अंग्रेजी के बदले संस्कृत आज्ञाओं का प्रचलन हुआ।