मां भद्रकाली मंदिर न्यास समिति के अध्यक्ष ने किया प्रेस कांफ्रेंस, कहा कहा कि 2006-07 में मेरे कार्यकाल के दौरान 1.60 करोड़ की राशि से मंदिर परिसर में विकास कार्य की गई थी
इटखोरी(चतरा)। जिले के इटखोरी स्थित माता भद्रकाली मंदिर परिसर का सरकारी तौर पर सीओ द्वारा गभग 1. 58 एकड़ जमीन की सर्वे कराई गई थी। इसमें मां की मंदिर का गैर मजरूआ जमीन 1.8 एकड़ व बकास्त जमीन 1.7 एकड़, रैयतों की 29.85 एकड़ तथा गैर मजुरवा झाड़ी और जंगल 1. 26.56 एकड़ शामिल है। उक्त बातें मंगलवार को मां भद्रकाली मंदिर न्यास समिति के अध्यक्ष यतींद्र कुमार चौहान ने मंदिर कार्यालय कक्ष में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कही। उन्होंने आगे कहा कि 2006-07 में मेरे कार्यकाल के दौरान पर्यटन विभाग द्वारा तकरीबन 1 करोड़ 60 लाख राशि से मंदिर परिसर में विकास कार्य की गई थी। जिसमें मंदिर का सौंदर्यीकरण समेत जूता-चप्पल रखने का स्थान और मंदिर प्रांगण को सुशोभित तरीके से विकास कार्य किया गया था। उन्होंने कहा कि इससे पूर्व 1983 से विकास समिति मंदिर परिसर में कार्य कर रही थी। फिर 26 नवंबर 2011 को विकास समिति मां भद्रकाली मंदिर प्रबंधन समिति में परिवर्तित हुई। इन दोनों समितियों का कोई बायोलॉज नहीं था और ना कभी ऑडिट हुआ। जिसके कारण झारखंड राज्य हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड ने समिति के अध्यक्ष और सचिव से मंदिर का लेखा-जोखा एवं ऑडिट की मांग की, नहीं दिए जाने पर मां भद्रकाली मंदिर का न्यास समिति में गठन किया गया। जो कमेटी फिलहाल मंदिर में कार्यरत है। उन्होंने कहा कि इससे पूर्व 2 मई 2015 को एक मां भद्रकाली प्रबंधक समिति ट्रस्ट बनाया गया। जिसमें चतरा अनुमंडल पदाधिकारी को अध्यक्ष और इटखोरी अंचल अधिकारी को सचिव बनाया गया। इसके अलावे इस कमेटी में 10 सदस्य भी हुए। उन्होंने कहा कि किसी भी प्राइवेट चौरिटेबल या कोई ट्रस्ट में सरकारी पदाधिकारी बिना सरकार से अनुमति लिए ट्रस्ट का पदाधिकारी नहीं हो सकते। अध्यक्ष चौहान ने मां भद्रकाली प्रबंधक समिति ट्रस्ट का निबंधन यथाशीघ्र रद्द करने की बात कही। उन्होंने कहा कि मंदिर विकास के लिए फिलहाल में बनी न्यास समिति ईमानदारी और निष्ठा पूर्वक कार्य करे।