महिला व बाल विकास मंत्रालय ने 1098 चाइल्ड हेल्पलाइन में बदलाव के लिए पेश की एसओपी, देखे क्या बदलाव होंगे
नई दिल्लीः केंद्रिय महिला और बाल विकास मंत्रालय ने मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) पेश कर दी है। जारी में बताया गया है कि कैसे चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 को नया रूप दिया जाएगा और राज्य और जिला अधिकारियों के साथ समन्वय में चलाया जाएगा। साथ ही आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (112) के साथ एकीकृत किया जाएगा। ज्ञात हो की अपनी स्थापना के बाद से, हेल्पलाइन, जिसे चाइल्डलाइन 1098 के रूप में जाना जाता है, को चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन द्वारा संचालित किया गया था। जिसे सहयोगी एनजीओ के माध्यम से जमीनी स्तर पर संचालन के लिए नोडल एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया था। जो सहायता लेकर संकट में फंसे बच्चों को बचाया। पुलिस और राज्य के अधिकारियों को दी जाएगी नई जिम्मेवारी। अब, एसओपी के अनुसार, राज्य और जिला प्राधिकरणों के निष्पादन में प्रमुख जिम्मेदारियों को लेने के साथ परिचालन ढांचा स्पष्ट रूप से बदलने के लिए तैयार है। मिली जानकारी के अनुसार राज्यों में इसे लागू करने पर काम चल रहा है। शुक्रवार को डब्ल्यूसीडी मंत्रालय के पत्र में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को एसओपी साझा किया गया है और उन्हें मिशन वात्सल्य योजना के तहत परियोजना अनुमोदन बोर्ड की मंजूरी के लिए हेल्पलाइन के वित्तीय प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। एसओपी को डब्ल्यूसीडी मंत्रालय की वेबसाइट पर भी डाला गया है। एसओपी में कहा गया है की चाइल्डलाइन सेवाओं को वर्तमान में 568 जिलों, 11 बस स्टैंडों और 135 रेलवे स्टेशनों से लेकर सभी जिलों, चिन्हित बस स्टैंडों और रेल मंत्रालय द्वारा चिन्हित रेलवे स्टेशनों पर संचालित किया जाना है। राज्य स्तर पर चाइल्ड हेल्पलाइन महिला एवं और अधिकारिता विभाग के वरिष्ठतम पदाधिकारियों की देखरेख में चलाई जाएगी और यह जिला स्तर पर जिला मजिस्ट्रेट के अधीन होगी। प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में हेल्पलाइन के लिए एक 24/7 समर्पित डब्ल्यूसीडी नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जाएगा और इसे ईआरएसएस-112 के साथ एकीकृत किया जाएगा। एक बच्चा 1098 डायल करके मदद मांग सकता है, निर्दिष्ट पते पर एक एसएमएस या एक ईमेल भेज सकता है।
बाल संबंधी सहायता अनुरोध ईआरएसएस में भी प्राप्त किए जा सकते हैं। यह तब होता है जब कोई व्यक्ति 112 पर कॉल करता है या 112 पर एसएमएस या पैनिक सिग्नल भेजता है। कॉल लेने वाले मामले की प्रकृति और गंभीरता का आकलन करने में सक्षम होंगे और यदि आवश्यक हो तो इसे डब्ल्यूसीडी नियंत्रण कक्ष को भेज दिया जाएगा। जिला मजिस्ट्रेट की समग्र देखरेख में काम करने वाली जिला बाल संरक्षण इकाई जिले में बच्चों की सेवा वितरण और देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नोडल एजेंसी है। वहीं एसओपी के अनुसार, मामलों की समीक्षा के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एमआईएस रिपोर्ट जनरेशन मॉड्यूल बनाया जाएगा। राज्य और जिला स्तर पर हेल्पलाइन की डब्ल्यूसीडी निगरानी के लिए मंत्रालय के लिए एक एमआईएस मॉड्यूल भी तैयार किया जाएगा।