चतरा। गुप्त सूचना के आधार पर प्रतापपुर थाना क्षेत्र से 12 किशोरों को बाल श्रमिक के संदेह के आधार पर महारानाी बस से 10 जून 2025 को रैस्क्यू किया गया था। फिलहाल सभी किशोरों को चतरा स्थित बालक बाल गृह में रखा गया है। ताजुब की बात यह है कि रेस्क्यू किए गए किशोरों की श्रैणी का निर्धारण अबतक नही किया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि किशोर न्याय अधिनियम व किशोर न्याय आदर्श नियम के किस नियम के तहत बच्चों को बाल गृह में रखा गया है। जबकी जांच के लंबंन के स्थिति में ऐसे अधिकार किशोर न्याय अधिनियम में बाल कल्याण समिति को है। जबकी किशोरों को समिति में प्रस्तुत ही नही किया गया है। यहां तक कि जांच के लंबंन की स्थिति में भी बच्चों को जेजे नियम 18 के 8 तथा 19 के उप नियम सात में परिवार/माता-पिता व संरक्षक के देख-रेख में रखेन का प्रावधान है। ऐसे में जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी से इस संबंध में संवाददाता द्वारा फोन कर जानकारी लेने पर बताया गया कि जांच चल रहा है, विभाग से आदेश आने के बाद ही सभी को छोड़ा जाएगा। यहां डीसीपीओ ने भी किशोर न्याय अधिनियम/आदर्श नियम से संबंधित कोई बात नही की। ऐसे में सवाल उठता हैै कि जब बच्चे सीडब्ल्यूसी में प्रस्तुत नही होंगे तो कौन विभाग देगा सीसीआई में बच्चों के आवासन के लिए प्रपत्र 18 में आदेश और निर्मुक्त सह पुनः स्थापन के लिए प्रपत्र 44 में आदेश। जबकी जिला बाल संरक्षण अधिकारी को जिले में किशोर न्याय अधिनिय व आदर्श नियमों के अनुपालन के क्रियान्वयन के लिए विधिवत किशोर न्याया नियम में जिम्मेवारी तय की गई है। लेकिन जिले में जेजे एक्त व रुल का क्रियान्वयन तो दुर 12 किशोरों को सीसीआई में बगैर नियम के अनुपालन का रख कर अधिनियम व नियम का उलंघन किया गया है, संबंधित के द्वारा। हालांकी 12 किशोरों के बाल गृह में रखे जाने की जानकारी जिले के सभी वरीय अधिकारियों को होने की बात भी कही जा रही है। इसके बाबजूद जो किशोर न्याय व्यवस्था किशोरों के लिए बनी है, वही आज उक्त किशोरों व उनके परिजनों के लिए परेशानी का करण बन गई है।
पुलिस द्वारा रेस्क्यू किए गए 12 किशोर परिवार रहते 24 घंटे से बगैर श्रेणी निर्धारीत किए बाल गृह में हैं, इस संबंध में डीसीपीओ का कहना है जांच होगी और विभाग से आदेश मिलेगा उसके बाद ही छोड़ा जाएगा, जबकी जेजे एक्ट और रुल में अलग ही प्रावधान किया गया है

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