चतरा। जिस किशोर न्याय अधिनियम/आदर्श नियम के जिले में क्रियान्वयन की जिम्मेवारी निर्धारीत की गई है। लेकिन इसके विपरीत चतरा जिले में इसके सुचारु क्रियान्वयन कराने को छोड़ खुद इसके विपरीत अधिनियम व नियम की अवहेलना कर जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी द्वारा आवासन व परिवार में भेजने का आदेश पारीत किया जा रहा है। 11 जून को 5 बच्चे बाल श्रम के खिलाफ श्रम प्रवर्तन अधिकारी प्रियंका कुमारी के नेतृत्व में दो होटल और एक कपड़ा दुकान में छापेमारी कर 5 बाल श्रमिक मुक्त कराए गए थे। जिसमें दो को तो श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी द्वारा मौके पर ही जांच कर 14 वर्ष से उपर उम्र होने की बात कह कर छोड़ दिया गया और 3 बच्चों को चतरा स्थित बालक बाल गृह में रखवाया गया। इस संबंध में संवाददाता द्वारा जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी से फोन से जानकारी ली गई तो बताया गया कि 18 वर्ष तक के बच्चे जेजे एक्ट के अंर्तगत आते हैं। तीनों बच्चों को परिवार को सौंपा जा रहा है। वहीं 10 जून को पुलिस द्वारा रेस्क्यू किए गए किशोरों के संबंध में बताया गया कि विभाग से आदेश आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। जबकी यहां सवाल उठता है कि बगैर विभाग से पत्राचार कर आदेश प्राप्त किए बाल कल्याण समिति के लिए किशोर न्याय अधिनियम व आदर्श नियम में निहित शक्तियों का उपयोग कर कार्य करने के लिए जिला बाल संरक्षण इकाई के कर्मी अधिकृत हैं। जबकी सूत्रों की माने तो इसके लिए झारखंड राज्य बाल संरक्षण संस्था रांची के द्वारा बाल कल्याण समिति से काम नही लेने या इसके स्थान पर स्वंय कार्य करने से संबंधित किसी प्रकार का आदेश भी निर्गत नही किया गया है और ना ही विस्तारीत अवधी समापन से पूर्व आदेश ही लिया गया। ताजुब की बात यह है कि बाल कल्याण समिति का सदस्य सचिव जिला बाल सरंक्षण पदाधिकारी को 2018 में विभाग द्वारा नियुक्त करने को लेकर पत्र जारी किया गया था। लेकिन उस आदेश का पालन अबतक जिले में नही किया गया। दुसरी ओर 48 घंटे से बगैर श्रेणी निर्धारण किए 12 किशोरों को 10 जून के रात से बाल गृह में रखा गया है। जिसपर डीसीपीओ का जवाब है कि देखा जा रहा है कि परिवार में भेजने के बाद आगे बाल श्रम के लिए नहीं जाएंगे, उसके बाद परिजनों को सौंपेगे। ताजुब की बात यह है कि 14 वर्ष के 3 कम उम्र के बच्चे महज 18 घंटे में फिर से काम नही करेंगे की जांच कर जेजे एक्ट को ताक पर रख कर सीसीआई से छोड़ने का आदेश दे दिया गया।