
झारखण्ड/गुमला: लोकसभा चुनाव 2024 में आएं चुनाव परिणाम में सबसे ज्यादा सीट 240 पार सिर्फ एक चेहरे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हिंदूवादी हिंदू मतदाताओं ने दी है वे इस लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत से थोड़े पीछे है इसका कारण दस सालो का यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी नहीं बल्कि बिकाऊ और वैसे लोगों की देन है जो जातिवाद को लेकर देश को टुकड़े-टुकड़े करके राजनीतिक दलों की थाली चाटते हैं क्योंकि इस लोकसभा चुनाव 2024 में ऐसा कोई भी राजनीतिक दल नहीं है जो देश के कोने-कोने से अकेले दम पर 100 सीटों पर विजय प्राप्त कर ली हो कांग्रेस जहां 100 से नीचे है तो कोई 10,8,30,25,16,5,2,34 फिर भी इतरा रहे हैं कि उन्होंने जैसे अकेले पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया है इंडिया गठबंधन की हालत ऐसी है सरकार बनाने की जैसे 10 साल से कुछ अच्छा खाया-पिया नहीं हो एनडीए गठबंधन का फैसला और भाजपा की टोह जोह रहे हैं कि दो घटक नीतीश कुमार एवं चंद्राबाबू नायडू बस अलग हो जाते हैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से तो फिर अच्छी तरह से अभी करीब 28 + 2 = 30 राजनीतिक दलों के महासंगम से इंडिया गठबंधन सरकार बनाने में कामयाब और जो भी चाहों कर लो यही ख्वाहिश पाले हुए हैं इंडिया गठबंधन के राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे सहित बड़े-बड़े बड़बोले नेता एवं जेल से आएं और बाहर आकर फिर से भ्रष्टाचार में लिप्त नेता जो देश के संविधान को बचाने वाले और गरीबी, बेरोज़गारी को समाप्त खटाखट कर देंगे।देश में राजनीतिक समीकरण भी ऐसे बने हुए हैं देश में एनडीए सरकार हो या फिर इंडिया गठबंधन के टुकड़े टुकड़े गैंग की सरकार अब इन्हें जनता के वोटों से कोई मतलब नहीं अब मतदाताओं को हाथ नहीं जोडने है बस मिलजुलकर सरकार बनानी है ऐसे हालात कोई राजनीतिक दलों ने नहीं बल्कि देश की जनता द्वारा किया गया है । ऐसे भी देश की 80 प्रतिशत जनता नहीं जानते कि राजनीति का अर्थ राज छुपा कर नीति चलाना ही राजनीतिक नेताओं की डिग्री होती है यह कोई स्कूल और कॉलेजों से हासिल नहीं होती है बस जनता को ठगने और उन्हें दिवास्वप्न दिखाने का हुनर उनके पास होना चाहिए।
यहां बताते चलें कि गजब की लोकतांत्रिक व्यवस्था है हमारे देश में देखा जा रहा है कि देश की जनता को कोई संविधान खतरे में बताकर तो को हिंदू खतरे में और कोई जातीय समीकरण बदल कर देश की बेरोजगारी,गरीबी दूर करने और संविधान की रक्षा करने की बात कह रहे हैं लेकिन कथनी और करनी कुछ होती है जातिवाद कोई भारत के संविधान में संशोधन कर नहीं किया गया बल्कि मंडल लाकर देश में जातिवाद लाया गया वहीं मंडल कोई लाया तो कमंडल भी लाया गया यह अभी नहीं लाया गया है यह सब 2014 के पूर्व लाकर देश में हिंदू मुस्लिम,से लेकर अलग-अलग जातियों में एक जहर घोलने का काम को जनता नहीं बल्कि यही राजनेताओं ने सता में आकर की थी जिसका परिणाम देश के सामने है कोई हिंदूवादी पार्टी बन कर सामने है तो कोई जातिवाद को लेकर तो कोई देश की जनता को संविधान बचाने के नाम पर शिगूफा छोड़ा है।
वहीं दूसरी तरफ देखा जा रहा है कि जैसे ही अकेले चेहरे पर दम भरकर 240 से उपर सिर्फ हिंदूवादी नेता बनकर लाएं हैं उससे इस्तीफा मांगने वाले 100 से भी कम लोकसभा सीट लाकर बेशर्म की तरह नीतीश एवं चंद्रबाबू नायडू की ओर लॉलीपॉप लेकर खड़े नजर आ रहे हैं। अपनी सीटें नहीं बताकर 28 दलों के आंकड़े पेश कर रहे हैं जबकि इंडिया गठबंधन को सारे मिलाकर उनकी संख्या अकेले चेहरे वाले यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र से भी कम है लेकिन राहुल तो राहुल गांधी खड़गे जी भी बेशर्मी बन कर अनाप-शनाप बोले जा रहें हैं लेकिन देश देख रहा है कि कैसे वर्षों से भूखे जनता की तरह नेता भी थाली हाथ में लेकर उसे भरने के लिए एनडीए के घटक दलों की टकटकी लगाए बैठे हैं।