न्यूज स्केल संवाददात
चतरा। जनजाति सुरक्षा मंच झारखंड के तत्वाधान में बुधवार को उपायुक्त कार्यालय के समक्ष एकदिवसिय धरणा का आयोजन किया गया। धरना के उपरांत शिष्टमंडल द्वारा उपायुक्त को ज्ञापन सोपा गया। ज्ञापन के माध्यम से झारखंड सरकार से मांग किया गया है कि धर्मांतरित व्यक्तियों कोअनुसूचित जनजाति के आरक्षण की सुविधा नहीं मिले। कोई भी व्यक्ति जिसने जनजाति धर्म तथा विश्वाशों का परित्याग किया है और ईसाई या इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया है वह अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं समझा जाए। भारतीय अधिनियम 1935 के अंतर्गत इसाई की परिभाषा में यह कहा गया है कि भारतीय इसाई वह होगा जो इसी पंथ को मानता हो और यूरोपीय एंग्लो इंडियन ना हो। इसके अनुसार अनुसूचित जनजाति से जब एक व्यक्ति ईसाई धर्म में धर्मांतरित हो जाता है वह स्वाभाविक रूप से भारतीय इसाई के श्रेणी में आएगा। अतः उसको किसी भी प्रकार की आरक्षण की सुविधा देना असंवैधानिक माना जाए।मंच का कहना है कि झारखंड सरकार का नेतृत्व आदिवासी मुख्यमंत्री कर रहे हैं। अपने कार्य क्षेत्र में आने वाले आदिवासियों के जीवन को प्रभावित करने से संबंधित कई विषयों पर राज्य सरकार ने विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया है। अतः मंच मांग करता हैं कि 5 दशकों से लंबित समस्या के समाधान हेतु प्राथमिकता के आधार पर आदिवासियों के साथ हो रहे हैं इस अन्याय को हमेशा के लिए समाप्त करें।धर्मांतरित लोगों को आदिवासी सूची से हटाने हेतु अति शीघ्र झारखंड विधानसभा से संकल्प प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जाए। धरना कार्यक्रम में जनजाति सुरक्षा मंच के संरक्षक सत्येंद्र सिंह, मंच के चतरा जिला संयोजक जयप्रकाश उरांव, जनजाति कल्याण प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष कृष्ण चंद्र सिंह, सचिव सुरेश कुमार पाठक, जनजाति संपर्क प्रमुख राघव राणा, अंबिका सिंह भोक्ता, ललन गंझु, किरण देवी, सरिता देवी, रामदेव सिंह भोक्ता सहित सैकड़ो की संख्या में जनजाति समाज के महिला एवं पुरुष शामिल थे।