चार सालों में 132 चाइल्ड को मिला है लाभ, वर्तमान में 82 चाइल्ड को मिल रही राशि
न्यूज स्केल संवाददाता
दुमका। बाल कल्याण समिति, दुमका ने पिछले तीन माह के दौरान 150 जरुरतमंद बालक/बालिकाओं को मिशन वात्सल्य योजना के तहत स्पॉन्सरशिप स्कीम से जोड़ने की अनुसंशा एसएफसीएसी को की है। जिनमें जिला बाल संरक्षण समिति के द्वारा प्रस्तुत किये गये 67, चाईल्ड हेल्पलाईन के 59 और सीडब्ल्यूसी के द्वारा पारित 24 प्रस्ताव शामिल हैं। बाल कल्याण समिति, दुमका के सदस्य डॉ. राज कुमार उपाध्याय ने बताया कि स्पॉन्सरशिप स्कीम के तहत देखरेख और संरक्षण के जरूरतवाले (सीएनसीपी) बालक/बालिका को तीन वर्ष तक या 18 वर्ष की आयु पूरी होने तक प्रत्येक माह डीबीटी के माध्यम से संयुक्त बैंक खाता में 4000 रुपये दिये जाते हैं। यह राशि वैसे बच्चों को पोषण/स्वास्थ्य/शिक्षा के लिए दिये जाते हैं। समिति द्वारा अनुसंशा किये गये स्पॉन्सरशिप आवेदनों को उपायुक्त की अध्यक्षता में गठित स्पॉन्सरशिप एंड फोस्टर केयर अप्रवुल कमिटि (एसएफसीएसी) की बैठक में रखा जायेगा और वहां से पारित आवेदनों को समिति द्वारा स्पॉन्सरशिप की राशि बालक/बालिका एवं उसके अभिभावक के संयुक्त बैंक खाता में भगुतान करने का आदेश पारित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में पिता की मृत्यु होने पर 19 बालक/बालिकाओं को इस योजना से जोड़ा गया था। 2020 से 2024 तक 132 बालक/बालिका को स्पॉन्सरशिप स्कीम से जोड़कर योजना का लाभ दिया जा रहा था। जिसमें से लगभग 50 बालक/बालिका 18 वर्ष की आयु पूरी होने या तीन वर्ष की अवधि पूरी होने के कारण इस योजना के तहत रिस्टोर किये जा चुके हैं। शेष 82 बालक/बालिका को मार्च 2025 तक स्पान्सरशिप की राशि डीबीटी के माध्यम से उनके संयुक्त बैंक खाते में प्रदान किया गया है।
वायरल मैसज के कारण बढ़ी जागरूकता
सदस्य डॉ. राज कुमार उपाध्याय ने बताया कि दुमका जिले में स्पॉनसरशिप स्कीम प्राप्त करने के अर्हता वाले बालक/बालिकाओं की अच्छी खासी संख्या है पर तमाम जागरूकता कार्यक्रमों के बावजूद योग्य बालक/बालिका के अभिभावक इस योजना की जानकारी नहीं होने के कारण इसके लिए आवेदन नहीं दे पा रहे थे। कुछ समय पूर्व सोसल मीडिया में ‘स्पॉनसरशिप स्कीम’ को मिशन वात्सल्य की योजना के बजाय दूसरे नाम से प्रचारित किया गया और इसके पात्रता और मिलनेवाले लाभों को भी एक ग्रुप से दूसरे ग्रुप में शेयर किया गया। इसमें जो वांछित दस्तावेज बताये गये थे उनमें से कुछ की इस योजना के लाभ के लिए जरूरत नहीं है जैसे जाति प्रमाण पत्र। पर इसका एक अच्छा असर यह हुआ कि इस योजना की अर्हता रखनेवाले बालकों के अभिभावक या तो इसकी जानकारी लेने सीडब्लयूसी/डीसीपीयू/सीएचएल पहुंचे या फिर चाईल्ड हेल्पलाईन नंबर 1098 में इसे रजिस्टर करवाया। यही कारण है कि अचानक से इस स्कीम के तहत प्राप्त आवेदनों की संख्या बढ़ गयी।
डीसीपीयू और सीएचएल ने किया बढ़िया काम
जिला बाल संरक्षण इकाई (डीसीपीयू) और चाइल्ड हेल्पलाईन (सीएचएल) ने अर्हता रखनेवाले सीएनसीपी बालक/बालिकाओं को स्पॉन्सरशिप स्कीम से जोड़ने के मामले में बढ़िया काम किया है। दोनों टीमों ने आवेदनों के साथ वांछित दस्तावेजों को बनवाने में भी परिवार की सहायता की है। इसके अलावा आवेदकों का गृह सत्यापन, सामाजिक जांच प्रतिवेदन तैयार करने और उसका सेविका/मुखिया से सत्यापन करवाने की जटिल प्रक्रिया को भी कम समय में पूरा किया है।
इन्हें मिल सकता है स्पान्सरशिप योजना का लाभ
जिस बालक/बालिका के माता-पिता दोनों की अथवा पिता की मृत्य हो गयी है या पिता अलग रहते हैं या माता-पिता ने त्याग कर दिया है या पिता दुर्घटना या गंभीर बीमारी के कारण अनफिट हो गये हैं या बालक गंभीर बीमारी से जुझ रहा है या बालक शारीरिक या मानसिक रूप से दिव्यांग है, उन्हें स्पान्शरशिप स्कीम का लाभ मिल सकता है। इसके अलावा मिशन वात्सल्य के तहत बाल श्रम से रेस्क्यू किये गये चाइल्ड, रिस्क ऑफ मैरिज वाले चाईल्ड, ट्रैफिकिंग के वरनरेबल चाइल्ड, चाईल्ड बेगर, चिल्ड्रिेन इन स्ट्रीट सिचुएसन, सेक्सुअल एब्युज (पोक्सो) की पीड़िता, ड्रग एब्युज के शिकार होनेवाले बालक/बालिका को भी समिति द्वारा स्पॉन्सरशिप स्कीम से जोड़ा जा सकता है।
इन दस्तावेजों की होती है जरूरत
1. स्पॉन्सरशिप योजना का लाभ पाने के लिए आवेदन पत्र।
2. बालक/बालिका की जन्म तिथि से संबंधित शैक्षणिक प्रमाण पत्र या जन्म प्रमाण पत्र।
3. शहरी क्षेत्र में वास करने पर 94000 और ग्रामीण क्षेत्र में वास करने पर 72000 रुपये से कम का अंचल अधिकारी द्वारा जारी वार्षिक आय प्रमाण पत्र।
4. पिता/माता-पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र (यदि लागु हो)
5. सीओ/बीडीओ द्वारा जारी निवासी प्रमाण पत्र।
6. बालक/बालिका और अभिभावक का आधार कार्ड की छाया प्रति।
7. बालक/बालिका यदि विद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं तो स्कूल के प्रधानाध्यापक द्वारा इस बारे में प्रमाण पत्र।
8. बालक/बालिका यदि मानसिक/शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं, तो उसका प्रमाण पत्र।
9. बालक/बालिका यदि असाध्य रोग से पीड़ित हैं या पिता दुर्घटना के कारण निःशक्त हो गये है या गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं तो उससे संबंधित मेडिकल रिपोर्ट।
10. बालक/बालिका और उसके अभिभावक (जो बालक की देखरेख करेगा) का संयुक्त बैंक खाता की छायाप्रति।