पितृ भक्ति के श्रेष्ठ उदाहरण हैं भगवान परशुराम: चंद्र मोहन पाठक
भगवान परशुराम का प्रकटोत्सव मनाया गया
विष्णु के अवतार परशुराम ने शस्त्र और शास्त्र दोनों का उचित समय पर उपयोग सिखाया
भगवान परशुराम का प्रकटोत्सव शनिवार को लोहरदगा के सेन्हा ठाकुरबाड़ी परिसर में सर्व ब्राह्मण समाज द्वारा मनाया गया। सभी लोगों ने भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम भगवान की पूजा अर्चना की और देश और समाज के कल्याण और विकास की कामना की। इस अवसर चंद्र मोहन पाठक ने कहा कि भगवान परशुराम का उल्लेख रामायण, महाभारत और कल्कि पुराण में है। वह महर्षि जमदग्नि और रेणुका की संतान हैं। मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम का प्राकट्य काल प्रदोष काल में था और वह आठ चिरंजीवी पुरुषों में एक हैं। वह आज भी इस धरती पर मौजूद हैं। इनके अलावा महर्षि वेदव्यास, अश्वत्थामा, राजा बलि, हनुमान, विभीषण कृपाचार्य और ऋषि मारकंडेय आज भी इस धरती पर विचरण कर रहे हैं। श्रीधर पाठक ने कहा कि परशुराम जी का जन्म ब्राम्हण कुल में हुआ था मगर उनका यह अवतार बहुत ही तीव्र और प्रचंड स्वभाव का था। अपने माता-पिता के अपमान का बदला लेने के लिए इन्होंने पृथ्वी पर 21 बार क्षत्रियों का संहार किया था। पितृ भक्ति के श्रेष्ठ उदाहरण माने जाते हैं। उन्होंने सिखाया कि शस्त्र और शास्त्र दोनों ही उपयोगी हैं और उचित अवसर पर इनका प्रयोग होना चाहिए। भगवान परशुराम के आदर्श अनुकरणीय हैं।
कार्यक्रम में विजय पाठक, रामज्ञानी पाठक, अवनीश पाठक, अरविंद पाठक, विनय पाठक, उज्जवल पाठक, सिद्धार्थ, परीक्षित, अभिजीत, डायमंड, संदीप, सुंदरम, अनिकेत आदि मौजूद थे।