भारी वाहनों के परिचालन को लेकर जारी एसडीएम का ऑर्डर टंडवा में विफल, संबंधित विभाग बना मुकदर्शक, लोग हो रहे हैं दुर्घटना के शिकार

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न्यूज स्केल संवाददाता
टंडवा (चतरा)। कोयलांचल और औद्योगिक नगरी के रुप में मशहूर टंडवा प्रखंड क्षेत्र में प्रदूषण, ग्रामीण सड़कों का अतिक्रमण कर भारी वाहनों का परिचालन, हिट एंड रन मामलों की अनदेखी, नदियों से बड़े पैमाने पर बालू की तस्करी, भू-माफियाओं द्वारा सार्वजनिक भूमि पर सेंधमारी समेत अन्य मामलों में लॉ एंड ऑर्डर पूरी तरह से विफल दिखाई दे रहा है। बात करें प्रदूषण की तो आम्रपाली व मगध कोल परियोजना से कोयले के उत्खनन व परिवहन के दौरान खाश कर विस्थापित-प्रभावित परिवारों व राहगीरों को पूरी तरह से अपनी चपेट में ले रहा है। जबकि एनटीपीसी से निकलने वाले जहरीला वेस्टेज फ्लाई ऐश का हल्का कण बड़े दायरे को प्रभावित कर रहा है। लोगों का आरोप है कि एनजीटी व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्रवाई नहीं करती। जिससे आम आदमी के जीने के मौलिक अधिकारों का खुलेयाम उल्लंघन हो रहा है। दूसरी ओर कोल व फ्लाई ऐश के परिवहन के लिए घनी आबादी से गुजरने वाली सड़कों का अब अतिक्रमण हो चुका है। परिणामस्वरूप सड़क दुर्घटनाओं में इन दिनों अप्रत्याशित वृद्धि देखी जा रही है। पिछले दस सालों में भारी वाहनों ने हजारों जिंदगियां निगल चुकी है। बावजूद इसपर रोकथाम की ना तो कोशिशें हुई ना मृतकों के आश्रितों को देने के लिए कोई ठोस मुआवजा नीति बनी। यही वजह है कि मृतकों के आश्रितों को सड़कों पर घंटों मशक्कत करनी पड़ती है। दुर्घटना में अपाहिज हो चुके दर्जनों परिवार दाने-दाने को मोहताज हैं, जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं पहुंचता। हां, कोल वाहनों से सड़क दुर्घटना होने के बाद जब कुछ देर के लिए ट्रांसपोर्टिंग बाधित होती है तब दिल्ली दरबार तक जाग उठता है, तब उनके स्थानीय नुमाइंदे जनाक्रोश को दबाने की जुगत में जुट जाते हैं। ताजुब की बात यह है कि एसडीएम सिमरिया द्वारा ज्ञापांक 474 में जारी सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक कोल वाहनों के परिचालन पर लगाए गए नो इंट्री का अनुपालन क्यों नहीं हो रहा है?