लोहरदगा। इस साल का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा की रात को लग रहा है. यह ग्रहण 28 अक्टूबर की रात 1 बजकर 05 मिनट से शुरू होकर 29 अक्टूबर की रात 2बबजकर 23 मिनट तक रहेगा। चंद्र ग्रहण के ठीक 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू होगा. इस दौरान सभी मंदिरों के पट बंद कर दिए जाएंगे. सूतक के दौरान किसी भी तरह की पूजा और अनुष्ठान नहीं किए जाते हैं। चंद्र ग्रहण का सूतक काल दोपहर 4:05 मिनट से शुरु हो जाएगा।ज्योतिषाचार्य रामाधार पाठक ने बताया कि यह आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। यह भारत में भी दिखाई देगा और इसलिए इसका सूतक काल भी माना जाएगा। यह चंद्र ग्रहण भारत समेत एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, नॉर्थ अमेरिका, साउथ अमेरिका के अधिकतर हिस्सों में और हिंद महासागर, पेसिफिक, अटलांटिक, आर्कटिक और अंटार्कटिका में भी दिखाई देगा. यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा. इसलिए इस दौरान विशेष सावधानी बरते की जरूरत होगी।
इस राशि में लगेगा चंद्र ग्रहण
28 अक्तूबर को लगने वाला यह चंद्र ग्रहण मेष राशि में लगेगा. ग्रहण के दौरान चंद्रमा मेष राशि में रहेंगे। चंद्रमा के मेष राशि में रहने के साथ इस राशि में पहले से ही गुरु और राहु ग्रह उपस्थिति होंगे।वैदिक ज्योतिषाचार्य श्री पाठक के अनुसार ग्रहण के शुभ-अशुभ प्रभाव सभी राशि के जातकों पर पड़ेंगे। साल का आखिरी चंद्र ग्रहण मेष, वृषभ, मिथुन, कन्या, धनु और मकर वालों के लिए बहुत शुभ रहने वाला है।यह ग्रहण इन राशि के जातकों को बहुत लाभ पहुंचाने वाला है। इन राशि के लोगों के सारे रुके हुए काम जल्द ही पूरे हो जाएंगे। आपके मान-सम्मान में बढ़ोतरी होगी। अचानक से धन लाभ हो सकता है। कार्यक्षेत्र में कई उपलब्धियां प्राप्त होगी। नौकरी में प्रमोशन और वेतन वृद्धि के योग बनेंगे।
शरद पूर्णिमा पर ग्रहण होने से इसका सूतक दोपहर 4.05 से ही शुरू हो जाएगा। शास्त्रों में सूतक के समय पूजा-पाठ करना, मंदिर में दर्शन करना, खाना बनाना और खाना मना किया गया है। इस वजह शरद पूर्णिमा से जुड़े शुभ काम 28 की दोपहर के बाद करना संभव नहीं है। इसलिए शरद पूर्णिमा से जुड़ी परंपराएं एक रात पहले यानी आश्विन शुक्ल चतुर्दशी (27 अक्टूबर) की रात निभा सकते हैं। बद्रीनाथ धाम में भी शरद पूर्णिमा से जुड़ी पूजा-पाठ 27 तारीख को ही की जाएगी। पूर्णिमा पर ग्रहण होने से रात में इस पर्व से जुड़ी पूजा-पाठ नहीं हो सकेंगे, न ही खीर नहीं बनाई जा सकेगी। 27 अक्टूबर को चतुर्दशी तिथि पर चंद्रमा की पूर्णिमा से सिर्फ एक कला कम रहेगी, इसलिए पूर्णिमा से एक रात पहले खीर बनानी चाहिए और भगवान को भोग लगाना चाहिए। उज्जैन के बड़ा गणपति मंदिर में भी 27 अक्टूबर की रात शरद पूर्णिमा के आयोजन होंगे।’’
वही वृंदावन के चंद्रोदय मंदिर, इस्कॉन में शरद पूर्णिमा पर ग्रहण होने से एक दिन बाद यानी 29 अक्टूबर को इस पर्व से जुड़ी पूजा-पाठ की जाएगी।
चंद्र ग्रहण के सूतक के समय क्या करें क्या न करें
चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण शुरू होने से ठीक 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है और ग्रहण खत्म होने तक रहता है। इस समय में पूजा-पाठ, मंदिर दर्शन, विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, व्यापार प्रारंभ जैसे शुभ काम नहीं किए जाते हैं। इसी वजह से सूतक शुरू होते ही सभी मंदिर बंद कर दिए जाते हैं। ग्रहण खत्म होने के बाद मंदिर की शुद्धि होती है, इसके बाद भक्तों के लिए मंदिर खोले जाते हैं। सूतक काल में देवी देवताओं के मंत्रों का जप करना चाहिए। दान-पुण्य कर सकते हैं।
ग्रहण काल मे गर्भवती माताएं क्या करे क्या न करे
ग्रहण के दौरान हम सभी को सावधानी बरतनी चाहिए। इस दौरान भोजन व किसी नुकीली चीजों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। खासतौर पर गर्भवती महिलाओं को अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। चंद्र ग्रहण गर्भवती महिलाओं के लिए शुभ नहीं माना जाता क्योंकि ग्रहण के दौरान कुछ नकारात्मक शक्तियां निकलती हैं, जिसका प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर होता है। इसी कड़ी में आइए जानते हैं कि, चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को कौन से काम नहीं करने चाहिए।
भोजन न करें
गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से होने वाले बच्चे के जीवन पर बुरा असर पड़ सकता है। माना जाता है कि, ग्रहण का समय दुष्प्रभावों से भरा होता है। ऐसे में किसी भी चीज का सेवन न करें।
घर से बाहर न जाएं
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, चंद्र ग्रहण शुरू होने से लेकर उसके समापन तक ग्रहण की रोशनी से खुद को बचाना चाहिए। साथ ही ग्रहण देखने की भूल गलती से भी न करें नहीं तो गर्भ में पल से बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
*ग्रहण के दौरान सोना अशुभ होता है*
ग्रहण काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को सोना नहीं चाहिए। कहा जाता है कि इस दौरान सोने से बच्चा मानसिक रूप से मंद पैदा होता है। इसलिए चंद्र ग्रहण के दौरान भगवान का स्मरण करने के सलाह दी जाती है।
*जरूर करें ये काम*
ग्रहण काल समाप्त होने के बाद गर्भवती महिलाओं को स्नान करना चाहिए। कहते हैं कि ग्रहण का अशुभ प्रभाव हर व्यक्ति पर पड़ता है। इसलिए स्नान करने की सलाह दी जाती है। इस दौरान घर में गंगाजल का छिड़काव जरूर करें।