झारखण्ड/गुमला- वर्ल्ड स्पेस वीक के अंतिम दिन आज डीएवी पब्लिक स्कूल गुमला की दो छात्राओं ताशा झा एवं प्रीति कुमारी ने मॉडल प्रस्तुत किया इस अवसर पर अंतरिक्ष सप्ताह पर अपने विचारों को अभिव्यक्त करते हुए ताशा झा ने कहा कि वर्ल्ड स्पेस वीक 4 अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक मनाया जाता है. अंतरिक्ष अन्वेषण में दो महत्वपूर्ण अवसरों चिन्हित करते हुए विश्व अंतरिक्ष सप्ताह की शुरुआत और समाप्ति तिथियों का चयन किया गया था. उनमें से एक 4 अक्टूबर, 1957 को हुआ था, जब पहला मानव निर्मित पृथ्वी उपग्रह स्पुतनिक 1 लॉन्च किया गया था. दूसरा 10 अक्टूबर, 1967 को बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग की गारंटी के लिए एक संधि पर हस्ताक्षर था.अब हमारे देश की शान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो की बात करते हैं. 1969 में अपनी स्थापना के बाद से इसरो ने कई बार भारत को गौरवान्वित किया है. 124 अंतरिक्ष यान मिशनों और 94 प्रक्षेपणों के साथ, यह दुनिया के विशिष्ट अंतरिक्ष संगठनों में से एक है. चंद्रयान-3 की सफलता के साथ ही भारत चंद्रमा पर उतरने वाले चार देशों में से एक और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन गया है. इसके पूर्व की उपलब्धियों में आर्यभट्ट,इनसैट श्रृंखला, जीसैट सीरीज,चंद्रयान-1, मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम) शामिल हैं. जीएसएलवी रॉकेट जिसे एलवीएम रॉकेट के नाम से भी जाना जाता है, इसरो द्वारा विकसित सबसे शक्तिशाली रॉकेट है. यह 5000 किलोग्राम के पेलोड को पृथ्वी की निचली कक्षा में और 2500 किलोग्राम के पेलोड को भूस्थैतिक स्थानांतरण कक्षा में रख सकता है. चन्द्रयान 3 मिशन में इसका उपयोग हुआ. प्रधानाचार्य डॉ रमाकांत साहू ने विद्यार्थियों को उनकी प्रस्तुति और प्रदर्श के लिए बधाई दी. नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर, इसरो, हैदराबाद के डिप्टी डायरेक्टर डॉ श्रीनिवास राव ने विद्यार्थियों की प्रस्तुति की प्रशंसा की है.