न्यूज स्केल संवाददाता
दुमका। दुमका रेलवे स्टेशन पर बनाये गये कोयला डंपिंग यार्ड (कोल स्टॉक यार्ड) से होने वाले प्रदुषण से प्रभावित रसिकपुर, सोनवाडंगाल, नेतुर पहाड़ी सहित आस-पास के लोग लगातार आंदोलनरत है। इन आंदोलनकारियों को इस रविवार को शिक्षा और पर्यावरणविदों का भी समर्थन मिला। स्टेशन परिसर पर धरना पर बैठे मुहल्ले वासी को तब और बल मिला जब वनस्पति विज्ञान के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ संजय कुमार सिन्हा और राजनीतिशास्त्र के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो विजय कुमार आंदोलनकारियों के साथ धरना पर बैठ गए।
आस पास के 25 हजार आबादी से भी ज्यादा लोगो का मुश्किल हो रहा जीनाः डॉ संजय कुमार सिन्हा
डॉ सिन्हा ने कहा कि कोयला डंपिंग यार्ड अब जीवन मरण का सवाल है। डस्ट के कारण जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। तरह-तरह की बिमारियां उत्पन्न हो रही है। उन्होंने कहा कि आस पास के 25 हजार आबादी से भी ज्यादा लोगो का जीना मुश्किल हो रहा है। यहां बताते चलें कि कोयला रैक हटाने की मांग वर्ष 2021 से ही चल रहा है। कोयला डस्ट के कारण आसपास के इलाके की हवा के अलावा पानी खराब हो गया है जो लोगों को बीमार बना रहा है। डॉ सिन्हा ने कहा कि विकास जरूरी है लेकिन लोगों की जान पर खेलकर नहीं। उन्होंने सरकार से मांग किया है आम आदमी के स्वास्थ्य के देखते हुए अविलंब कोयला रैक को स्थांतरित किया जाये।
आंदोलन को गंभीरता से नहीं ले रही सरकार, अब आंदोलन को उग्र करने की जरूरतः राधेश्याम वर्मा
वहीं सिविल सोसायटी के अध्यक्ष राधेश्याम वर्मा ने कहा कि चार वर्षों से शांतिपूर्ण ढंग से हो रहे आंदोलन को सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया है। अब अंगुली टेढ़ी करने की जरूरत है। उन्होंने आंदोलनकारियों को उग्र करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि कोयला डस्ट से यहां की आमजन बेहाल है। इसलिए अविलंब कोयला रैक हटाने का मांग किया। गौरतलब है कि रसिकपुर, नेतुरपहाड़ी, सोनवाडंगाल, कुम्हारपाड़ा, शिवपहाड़, श्रीअमड़ा सहित दर्जनों मुहल्ले को कोयला से उठने वाला धुल कण प्रभावित कर रहा है। रेलवे स्टेशन के आस-पास बने दर्जनों शिक्षण संस्थान प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में आमजन, नवजात शिशु, महिला और पुरूषों, बीमार लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। कोयला यार्ड के चंद दूरी पर कई शिक्षण संस्थानें है। जहां पढ़नेवालें छात्र-छात्राओं इससे प्रभावित हो रहे है। उल्लेखनीय है कि रेलवे स्टेशन के कोयला रैक से आमजन के साथ पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ा है। धरना में संजय मंडल, दिनेश शर्मा, हेमंत श्रीवास्तव, जगन्नाथ पंडित, विनोद सिंह,अमन सिंह,रवि शंकर मंडल, डॉ संजय कुमार सिन्हा, प्रोफेसर विजय कुमार, संतोष मंडल, मनोज पंडित आदि शामिल हुए।