न्यूज स्केल डेस्क
रांची। झारखंड विधानसभा में बजट सत्र 2024-25 के दौरान 21 मार्च को नवजात शिशु हत्या और असुरक्षित परित्याग के गंभीर मुद्दे को को उठाते हुए निरसा विधायक अरूप चटर्जी ने “इन्फेंट प्रोटेक्शन एक्ट” लाने पर जोर दिया और सरकार से इस विषय पर ठोस कार्रवाई करने की मांग की। विधायक श्री चटर्जी सदन में आगे कहा कि झारखंड और देशभर में नवजात शिशुओं की हत्या और असुरक्षित परित्याग की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। यह संवेदशिल सामाजिक समस्या है। ऐसे में इस पर रोक लगाने के लिए प्रभावी कानून की आवश्यक्ता है। विधायक अरूप चटर्जी ने सदन में हेमंत सोरेन सरकार से अनुरोध किया कि इन्फेंट प्रोटेक्शन एक्ट लाने के लिए राज्य सरकार ठोस कदम उठाए। इस दौरान विधायक ने पालोना अभियान द्वारा शिशु हत्या और परित्याग से जुड़े सूची को विधानसभा में प्रस्तुत करते हुए कहा कि असुरक्षित परित्याग करने वाले जिलों में गठीत बाल कल्याण समिति के माध्यम से नवजात को सरेंडर कर सकते हैं, क्योंकी उनकी पहचान गोपनीय रखी जाती है। लेकिन जागरुकता की कमी के कारण नवजात शिशुओं की हत्या और असुरक्षित परित्याग की घटनाएं लगातार सामने आती है। ऐसे में संस्था के डाटा से यह स्पष्ट होता है कि यह बड़ी समस्या है और इसके समाधान के लिए संवैधानिक पहल की आवश्यक है।
पालोना अभियान की मोनिका गुंजन आर्या ने विधायक का जताया आभार
Paa Lo Naa अभियान की संस्थापक एवं संपादक मोनिका गुंजन आर्या ने विधानसभा में इस महत्वपूर्ण मामले को उठाने के लिए विधायक अरूप चटर्जी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा है कि सरकार इस पर संज्ञान लेती है तो राज्य में नवजात शिशुओं की हत्या और असुरक्षित परित्याग की घटनाओं में कमी आयेगी। ज्ञात हो कि पालोना एक सामाजिक जागरूकता अभियान है। पालोना अभियान की शुरुआत वर्ष 2015 में आश्रयाणी फाउंडेशन के माध्यम से की गई थी। उक्त संस्था देश में शिशु हत्या और असुरक्षित परित्याग को रोकने के लिए डाटा संग्रह, जागरूकता, पत्रकारिता, शोध, नीति-निर्माण, प्रशिक्षण आदि के माध्यम से कार्य कर रही है। साथ पालोना का यह अभियान झारखंड के साथ मध्यप्रदेश, बिहार, बंगाल, उड़ीसा समेत कई प्रदेशों में चलाई जा रही है। इन्फेंट प्रोटेक्शन एक्ट की सबसे पहले मांग पालोना अभियान में ही उठी।