महाकुंभ में 2.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी, उमड़ा आस्था का जन सैलाब, दिखा भगवा और तिरंगा का संगम

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महाकुंभ के पावन अवसर पर उत्तर प्रदेश के त्रिवेणी संगम तट पर आस्था और दिव्यता का अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा है। एक ओर अखाड़े के साधु-संत अपने विशिष्ट अंदाज में स्नान कर रहे हैं तो दूसरी ओर हजारों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में पवित्र डुबकी लगाते नजर आ रहे। बड़े, बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे हर कोई गंगा मैया के जयकारे के साथ डुबकी लगा रहा है। महाकुंभ के प्रथम अमृत स्नानः अपराह्न 3 बजे तक 2.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई।

वहीं मेला प्रशासन के मुताबिक, सुबह 10 बजे तक लगभग डेढ़ करोड़ लोगों ने संगम में स्नान किया कर लिया था। मेला प्रशासन के अनुसार, सुबह 8:30 बजे तक एक करोड़ लोगों ने संगम में डुबकी लगाई। इसके बाद सुबह 10:00 बजे तक यह आंकड़ा 1.38 करोड़ पहुंच गया।

पूरी रात श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहा

महाकुंभ के इस पावन अवसर पर रात और दिन का कोई भेद नहीं रह गया है। पूरी रात श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहा। चहल-पहल से गूंजते संगम तट पर हर व्यक्ति अपने हिस्से की आस्था और दिव्यता को आत्मसात करने में लीन दिखा। भारत की असंख्य विविधताओं के बीच अद्भुत एकता दिखाई दे रही है। देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालु अपनी परंपराओं, भाषाओं और वेशभूषाओं के साथ एक ही उद्देश्य से संगम पर पहुंचे हैं और वो है पवित्र स्नान और आध्यात्मिक अनुभव।

भगवा और तिरंगा का संगम

महाकुंभ के अद्वितीय आयोजन में भगवा और तिरंगा का संगम भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक बन गया है। संगम तट पर सनातन परंपरा का प्रतिनिधित्व करते भगवा ध्वज जहां धर्म और आस्था की गहराई को दर्शाते हैं, वहीं भारत की एकता और अखंडता का परिचायक तिरंगा भी शान से लहराता नजर आया। मंगलवार को तिरंगे ने कई अखाड़ों की राजसी शोभायात्रा का हिस्सा बनकर महाकुंभ के इस दिव्य आयोजन में गौरव का एक नया आयाम जोड़ा। यह दृश्य न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं को जागृत करता है, बल्कि भारत की विविधता में एकता को भी खूबसूरती से दर्शाता है।

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