मयूरहंड(चतरा)। जिले में व्यापत भ्रष्टाचार का नमूना मयूरहंड प्रखंड में संचालित प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क निर्माण कार्य में देखा जा सकता है। सड़क निर्माण कार्य संबंधित विभागों द्वारा इतनी गुणवत्ता पूर्ण कराई जाती है कि कार्य पूर्ण होने के साथ सड़क में मरम्मती कार्य भी चालु करना पड़ रहा है। तेतरीया मोड़ से मयूरहंड तक लगभग 18 करोड़ से बनने वाली सड़क बनने के साथ टूटने लगी है। जिसके चलते मरम्मती कार्य की जरूरत पड़ गई। इससे सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि विभाग द्वारा सड़क निर्माण कार्य की गुणवत्ता क्या होगी? कमोबेश इस तरह की दर्जनों सड़क ऐसे हैं जो बनने के साथ मरम्मती का वाट जोह रही हैं। प्रखंड के आरईओ रोड से दिग्ही तक लगभग 1.1 किलोमीटर कालीकरण सड़क बनने के छः महिने के अंदर जमीन दोज हो गई। विभागीय लापरवाही का खमियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। बावजूद विभाग द्वारा संवेदक को प्राक्कलन के अनुरूप भुगतान कर दी जा रही है। जबकि विभागीय एकरारनामा में सड़क बनने के पांच वर्षों तक संवेदक को सड़क मरम्मती कार्य करना होता है। जिसके लिए विभाग प्राक्कलन के अनुरूप राशि जमा रखती है। लेकिन सड़कों की मरम्मती कार्य नही होती है? बावजूद पैसे की निकासी हो जाती है। खुलेआम सरकारी राशि की बंदरबांट की जा रही है। नतीजतन भुगतना आम आवाम को पड़ रहा है।