लोकसभा चुनाव 2024 में लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र से प्राप्त बहुमत करेगी भाजपा प्रत्याशी की नैया पार, भाजपा प्रत्याशी समीर उरांव को अंतर्कलह का खतरा कम, वहीं गठबन्धन कांग्रेस परंपरागत सीट क्या लगातार चौथी बार हारेगी या जितेगी, प्रत्याशी का भाग्य लिखेंगे क्षेत्र के जागरूक मतदाता
झारखण्ड/गुमला: पांच विधानसभा क्षेत्र के जागरूक मतदाता करते हैं लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ऐसे में लोकसभा चुनाव 2024 में लोहरदगा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से पांच विधानसभा क्षेत्र गुमला बिशुनपुर सिसई लोहरदगा एवं मांडर सहित रांची जिला के लापुंग भी लोकसभा क्षेत्र में आता है और इस लोकसभा चुनाव में जिस तरह से भाजपा ने लोहरदगा संसदीय क्षेत्र के लिए भाजपा प्रत्याशी समीर उरांव को चुनावी मैदान में खड़ा करते हुए जनता की अदालत में पेश किया गया है यह निश्चित है कि भाजपा प्रत्याशी समीर उरांव मोदी जी की गारंटी और पांच विधानसभा क्षेत्र के जागरूक मतदाता अब तक करेंगे कि लोहरदगा सीट पर भाजपा प्रत्याशी समीर उरांव अपनी पकड़ मजबूत करने में कितने कामयाब रहेंगे वहीं लोहरदगा सीट को लेकर गठबन्धन कांग्रेस झामुमो के बीच चल रही लोहरदगा सीट पर दावेदारी पेश करते हुए कौन बाजी मारता है यूं तो कांग्रेस को लेकर चले तो लगातार तीन बार भाजपा ने लोहरदगा संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस को पराजय का मुंह दिखाई है और इस लोकसभा चुनाव 2024 में भी भाजपा कांग्रेस यदि आमने-सामने होंगे तो मुकाबला होना निश्चित है और कौन बाजी मार ले यह कहना मुश्किल है लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव 2019 के चुनाव परिणाम को लेकर चले तो लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस को बढ़त मिली थी लेकिन अब यदि मतदाताओं का मूड़ क्या है यह तो अंदाजा लगाया नहीं जा सकता है लेकिन इस लोकसभा चुनाव 2024 में लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा को बढ़त हो सकता है यह कांग्रेस भी जानती है और बढ़त मिलने का कारण भी कांग्रेस बखूबी जान रही है क्योंकि लोहरदगा की जनता ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जिताने में काफी उत्साह रख कर विश्वास भी की थी लेकिन कांग्रेस इस बार लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र से अलग थलग पड़ रही है वहीं कांग्रेस और झामुमो से टिकट लेने की होड़ लगी हुई है वहीं इस सीट पर दावेदारी पेश कर रहे कांग्रेस और झामुमो जो गठबन्धन है एक पार्टी को तो अपनी ज़िद छोड़नी पड़ेगी और यहां पर से होगी आपसी मतभेद और राज छुपाकर राजनीति चाल कहने का मतलब कांग्रेस टिकट लेने के बाद भी लोहरदगा सीट पर विजय पथ तक पहुंचने में कामयाब रही तो ठीक और चौथी बार लोहरदगा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से पराजय हुई तो गठबंधन को लेकर एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने का दौर शुरू हो जाएगा वहीं कांग्रेस से नाराज़गी जताते हुए यदि झामुमो नेता यदि किसी दूसरे बैनर या फिर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में आया तो भाजपा लगातार चौथी बार लोहरदगा सीट जीतने में कामयाब हो गई तो कांग्रेस को सदा के लिए हारने का भय बना हुआ रहेगा।