न्यूज स्केल डेस्क
रांची। झारखंड के उपमुख्यमंत्री के रूप में पाकुड़ से विधायक व कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने शपथ ली है। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। आलमगीर आलम हेमंत कैबिनेट में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री थे। आलमगीर आलम के पास लंबा राजनीतिक अनुभव है और झारखंड में जारी सियासी संकट के बीच चट्टान की तरह महागठबंधन के विधायक दल का नेता चुने गये चंपई सोरेन के साथ बने रहे। नई चंपई सरकार में आलमगीर आलम ने डिप्टी सीएम के पद की शपथ ली है। अब श्री आलम झारखंड के उपमुख्यमंत्री के तौर पर जाने जाएंगे। लेकिन यहां तक पहुंचने का इनका सफर इतना आसना नहीं रहा। बहुत कम बार ऐसा होता है जब कोई पहली बार विधायक बने और पहली बार में ही मंत्री बन जाएं। लेकिन इस मामले में आलमगीर आलम खुशनसीब थे। ज्ञात हो कि सबसे पहले उनकी राजनीतिक करियर की शुरुआत पंचायत स्तर से हुई थी। वह साहिबगंज जिले के बरहड़वा प्रखंड के महराजपुर पंचायत के इस्लामपुर के 1978 में सरपंच बने थे। अपने कार्यकाल में पंचायत के लोगों के बीच न्याय प्रिय बनकर लम्बे समय तक गृहस्त जीवन व्यतित किया। यही नहीं श्री आलम ने बरहड़वा में लोहे के पार्ट्स की दुकान खोल कर व्यवसाय भी किया।
पहली बार श्री आलम भाजपा विधायक को हराकर पहुंचे थे बिहार विधानसभा
पहली बार कांग्रेस से 1995 में आलमगीर आलम पाकुड़ विधान सभा से चुनाव लड़े और भाजपा के बेणी गुप्ता से हार गये। अपनी हार को जीत में तब्दील करने के लिए श्री आलम ने पाकुड़ की जनता का विश्वास जीतने का लगातार प्रयास किया और 2000 के विधान सभा के चुनाव में भाजपा के बेणी गुप्ता को पराजित कर पहली बार अविभाजित बिहार में विधायक बने और पहली बार ही विधायक के साथ ही हस्तकरघा विभाग के राज्य मंत्री बने। राजनीतिक घटना क्रम में 15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग होकर झारखंड अगल राज्य बना और महज लगभग छह माह तक ही मंत्री पद पर रहे। नव गठित झारखंड में भाजपा की सरकार बनी और आलमगीर विधायक के तौर पर पाकुड़ की जनता की सेवा करते रहे। वर्ष 2005 में पहली बार झारखंड राज्य में विधान सभा चुनाव हुआ। जिसमे फिर पाकुड़ विधान सभा से आलमगीर आलम ने भाजपा के बेणी को हराकर दोबारा विधायक बने।
झारखंड विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं श्री आलम
झारखंड में मिलीजुली मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की सरकार में आलमगीर आलम झारखंड विधान सभा अध्यक्ष बने। लगभग दो साल तक इस पद पर बने रहे। वहीं 2009 में झामुमो के अकील अख्तर से आलमगीर आलम चुनाव हार गये और स्पीकर पद पर रहते हुए झामुमो के एक नये चेहरे अकील अख्तर से हारना राजनीतिक जीवन में बड़ी हार मानी गई। श्री आलम ने चुनौती स्वीकार किया और लगातार संघर्ष जारी रखा। अपने अथक प्रयास से पाकुड़ विधानसभा में कांग्रेस के संगठन को मजबूत व सशक्त बनाया।
अकील अख्तर को 2014 में शिकस्त देकर श्री आलम ने की वापसी
2014 के विधानसभा चुनाव मे आलमगीर आलम ने अपने हार का बदला चुकाते हुए अकील अख्तर को हराकर पहली बार आलमगीर आलम झारखंड कांग्रेस विधायक दल के नेता बने। 2019 के विधानसभा चुनाव के पहले ही कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने पार्टी का साथ छोड़ दिया। वहीं इस राजनीतिक घटना के दौरान झारखंड में महा गठबंधन के चुनावी समीकरण में आलमगीर आलम कांग्रेस झारखंड में एक बड़ा चेहरा बनकर उभरे। गठबंधन के प्रत्याशी के रुप में पाकुड़ विधान सभा से चुनाव लड़ा और फिर भाजपा के बेणी गुप्ता को शिकश्त देकर भारी मतों से जीत दर्ज कर महागठबंधन की सरकार में आलमगीर आलम कैबिनेट मंत्री बने।