
झारखण्ड/गुमला। लोकसभा चुनाव 2024 किसमें है कितना दम वाली हालत लोहरदगा सीट जो अनूसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट है बनती नजर आ रही है एक तरफ भाजपा प्रत्याशी समीर उरांव के सामने लोहरदगा सीट जो पिछले तीन लोकसभा चुनाव में लगातार जीत हासिल कर सांसद सुदर्शन भगत ने तिकड़ी बनाया और अब आगे बढ़ाने के लिए इस लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा प्रत्याशी समीर उरांव की जिम्मेवारी है और दूसरी तरफ देखा जाए तो झारखण्ड मुक्ति मोर्चा गठबंधन से लोहरदगा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत चुनाव मैदान में हैं और कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का किला कहलाने वाले लोकसभा सीट पर किला की वापसी लाने का काम सौंपा गया है यहां बताते चलें कि गुमला जिले के तीन विधानसभा क्षेत्र गुमला बिशुनपुर सिसई से झामुमो विधायक हैं और लोहरदगा एवं मांडर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक हैं यानि पांच विधानसभा क्षेत्र से बना हुआ लोकसभा सीट लोहरदगा जो अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित सीट है और दोनों ही राजनीतिक दलों भाजपा बनाम कांग्रेस के अपने-अपने परंपरागत वोट-बैंक हैं और दोनों के पास अपना थोक वोट-बैंक के साथ ही कार्यक्रताओं की लंबी कतारें हैं इसलिए परंपरागत वोट-बैंक और कार्यकर्ताओं की मेहनत जितनी ज्यादा मतदान कराने के लिए मतदाताओं को जागरूक करने का काम करेंगे इसका फायदा उस पार्टी को होना निश्चित है यहां बताते चलें कि दोनों प्रत्याशी समीर उरांव भाजपा एवं कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत इस इलाके के लिए जाने-पहचाने चेहरे हैं और राजनीतिक आंकड़े के गणितज्ञ भी है दोनों प्रत्याशी इस लोकसभा चुनाव के समर में चुनावी मैदान में अपना-अपना दम दिखाने के लिए आतुर हैं और कही भी चूकने वाले नहीं हैं यहां बताते चलें कि आज के समय में मतदाताओं को लेकर देखा जाए तो काफी जागरूक हैं और किसी भी लोलीपॉप में आकर अपना बेशकीमती वोट बेकार साबित नहीं करना चाहते हैं काफी नापतौल कर अपने मत ईवीएम में कैद करते हैं और एक अच्छा और क्षेत्र के विकास के लिए अपना सांसद को दिल्ली पार्लियामेंट में भेज कर अपनी जनसमस्याओं को दूर करने एवं विकास के लिए बागडोर सौंपते हैं इसलिए लोकसभा चुनाव 2024 में कौन लोहरदगा सीट से विजय पताका फहराकर लोकप्रिय सांसद बनेगा यह आने वाले मतदान और मतदान गणना के बाद ही मालूम पड़ेगा लेकिन अभी जब-तक नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि समाप्त नहीं हो जाती तब तक भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी को भय बना हुआ है कि कहीं परंपरागत वोट-बैंक पर सेंधमारी करने के लिए कोई और कद्दावर नेता तो चुनावी मैदान में आने वाले नहीं हैं फिलहाल आज तक की वस्तु स्थिति यही नजारा पेश कर रही है।