आदिवासी महिलाएं बांस की चटाई बुनकर लिख रहीं खुद की तकदीर, देखें

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रांची: रांची से 20 किलोमीटर दूरी पर स्थित है अनगड़ा गांव. जहां की आदिवासी महिलाएं अपनी मेहनत के दम पर तकदीर लिख रही है. इसमें कोई शक नहीं कि झारखंड में आदिवासी महिलाओं की खासकर गांव में रहने वाली महिलाओं की स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं है. लेकिन इन महिलाओं ने किसी से उम्मीद या फिर शिकायत छोड़ अपनी किस्मत खुद अपने हाथ से लिखने का फैसला किया है.

आज हम आपको ऐसी ही महिलाओं से मिलाने लाए हैं जो अपने बच्चे को दूध पिलाते हुए जहां मां की भूमिका निभाती है, तो वहीं चटाई की एक एक परत सिलते हुए अपने घर की जिम्मेदारी को भी बखूबी निभा रही है. बांस की चटाई सिलते हुए कमला कहती हैं ”एक चटाई का दस टका का मिलत है, दिन भर में 15 -20 छोटी चटाई सिल देत, जेकरा से घर के राशन पानी आराम से चलत हई”.

बांस की चटाई बुनकर बन रही हैं सशक्त

गांव की महिलाएं अपने घर के बाहर आंगन में ठंड के मौसम में धूप सेकते हुए बांस की छोटी-छोटी चटाई बनाती है. जिसे मार्केट हाट बाजार या फिर शहर से व्यापारी आकर ले जाते हैं. अक्सर शहर के व्यापारी इन्हें ऑर्डर के तहत चटाई बनाने का काम देते हैं, चटाई के अलावा यहां बांस की टोकरी, बांस का कप ट्रे भी बनाई जाती है.

बांस का काम करते हुए नीलम कहती है हम कई दिनों से काम कर रहे हैं मेरा पति कुछ करता नहीं है, जिस वजह से आर्थिक तंगी रहती है. लेकिन इस काम से हमें हर दिन अच्छी आमदनी हो जाती है जिससे हमारा गुजारा आसानी से चल जाता है.

व्यापारी अभिलाषा कहती है असल में यह हाउस वर्क है जिसके तहत महिलाएं घर में रहकर काम करती है और हम शहर से यहां आकर इनको आर्डर देते हैं व पैसे देकर सामान ले जाते हैं. इससे बीच में कोई बिचौलिया नहीं आता और इनको अपने काम का उचित दाम मिलता है व साल भर काम भी.

कैसे बनती है बांस की चटाई

बांस की चटाई बनाने के लिए महिलाएं जंगल से बांस लेकर आती हैं. जिसे आरी से छोटे-छोटे टुकड़े में काट उसकी एक-एक सीक को निकालकर, अपने हाथों से उसकी परत दर परत बुनाई करती है. लेकिन पहले छोटे-छोटे सीक को पानी में डुबो देती हैं, ताकि अच्छे से परत दर परत बैठ पाए. चार-पांच महिला मिलकर एक चटाई बनाती है जिससे 15-20 मिनट में ही एक चटाई बनकर तैयार हो जाता हैं.

पीएम मोदी तो कर चुके हैं तारीफ

झारखंड में कई बांस क्लस्टर है जिसकी चर्चा पीएम मोदी जनवरी के पहले रविवार में हुई मन की बात में कर चुके हैं. झारखंड की बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा था आदिवासी लोग कुशल कारीगर होते हैं व एक से बढ़कर एक खूबसूरत चीज बनाते हैं, इससे रोजगार व उनके हुनर को पहचान भी मिलती है.