गोड्डा: गोड्डा के राजकीय मेले में करीब 2 वर्षों बाद इस बार मौत के कुआं का खेल आया है. जो पूरे मेला का केंद्र बिंदु बना हुआ है. मेला में रोजाना मौत के कुआ का 12 शो होता है. प्रत्येक शो को करीब एक हजार लोग देखते हैं. एक टिकट का मूल्य 30 रुपए है. शो में मौत का खेल लड़का और लड़की दोनों मिलकर दिखाते हैं. इस दौरान बाइक व कार कुआं की दिवारों पर चलाई जाती है.
12 साल की उम्र में चला रहा बाइक
मौत के कुआं में खेल दिखाने वाले 19 वर्षीय विशाल कुमार ने न्यूज18 लोकल को बताया कि वह 12 साल की उम्र से मोटरसाइकिल चला रहा है. दोस्त के माध्यम से इस खेल में प्रवेश किया और तभी से मौत के कुआं में बाइक चला रहा है. वह बिहार के शेखपुरा जिला के हजरतपुर के मंडरो गांव का रहने वाला है.
वहीं दूसरे खिलाड़ी कौशल कुमार ने बताया कि वह पिछले 10 वर्षों से मौत के कुअं में कार चला रहा है. अब उनकी आदत हो गई है. इसलिए उसे डर नहीं लगता है. शुरू-शुरू में थोड़ा बहुत डर था, लेकिन यहां गाड़ी चला रहे लोगों को देखकर सीखा और अब पूरी तरह से ट्रेंड हो गया गया है. कौशल बिहार के पूर्वी चंपारण के वेदया का रहने वाला है.
रोजाना मौत से मुलाकात
मौत के कुआं में गाड़ी चलाने वालों ने ऑफ रिकॉर्ड बताया कि उनके साथ अभी तक कोई हादसा नहीं हुआ है. कहीं दूसरी जगह हादसा होता भी है तो मालिक उनसे छुपाने की कोशिश करता है और इन बातों पर ध्यान नहीं देने को कहता है. उन्होंने बताया कि उन्हें मेला के हिसाब से भूगतान किया जाता है. यदि 20 दिन का मेला है और ठीक ठाक कमाई हुई तो 20 हजार रुपये दिए जाते हैं. खिलाड़ियों ने यह भी बताया कि किस्मत के खेल में रोजाना मौत से मुलाकात होती है.