मयूरहंड (चतरा)। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘हर घर नल से जल’ योजना का हाल मयूरहंड प्रखंड में बेहद निराशाजनक है। कागज़ों पर यह योजना भले ही सफल दिखाई देती हो, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। प्रखंड के लगभग सभी पंचायतों में जल जीवन मिशन योजना बदहाली की मार झेल रही है। कई मोहल्लों में नल लगे तो हैं, मगर उनमें जल आपूर्ति बिल्कुल ठप है। कहीं पाइप लाइन जगह-जगह से लीकेज है, तो कहीं जल प्रवाह का दबाव इतना कम है कि लोगों को एक बूंद पानी के लिए भी तरसना पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार, मयूरहंड प्रखंड की दस पंचायतों में पेयजल आपूर्ति एवं जल संरक्षण विभाग चतरा द्वारा योजना को तीन फेज़ में लागू किया गया था। पहला फेज़ः सोकी, पंदनी, बेलखोरी एवं मयूरहंड, दूसरा फेज़ः पेटादेरी, फुलांग एवं कदगांव कला व तीसरा फेज़रू मंझगांव, करमा एवं हुसिया पंचायत में कार्य हुआ। इन सभी इलाकों में करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के बावजूद पानी की आपूर्ति सुचारू नहीं हो पा रही है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि कार्य में ठेकेदारों और विभागीय अधिकारियों द्वारा घोर अनियमितता बरती गई है। उल्लेखनीय है कि 15 मई 2025 को मयूरहंड दौरे पर आए केंद्रीय राज्य मंत्री कृति वर्धन सिंह के समक्ष स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने योजना की विफलता की शिकायत की थी। कदगांव कला के मुखिया अशोक भुईयां ने मंत्री के समक्ष स्पष्ट कहा था कि जल जीवन मिशन योजना यहां पूरी तरह असफल साबित हो रही है। इस पर मंत्री श्री सिंह ने तत्काल पीएचईडी विभाग के अधिकारियों को सुधार लाने के सख्त निर्देश दिए थे और स्थानीय विधायक उज्जवल दास को लाभुकों की समस्याओं का समाधान करने को कहा था। लेकिन मंत्री के निर्देश और विधायक के संज्ञान में आने के बावजूद अब तक स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। ग्रामीण अब भी शुद्ध पेयजल के लिए तरस रहे हैं, जबकि योजना पर करोड़ों की राशि खर्च हो चुकी है।
जल जीवन मिशन योजना में गड़बड़ी उजागर, नल है लेकिन जल नहीं! मयूरहंड की जनता बूंद-बूंद को मोहताज
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