न्यूज स्केल डेस्क
रांचीः रांची जिले के नामकुम ब्लॉक अंतर्गत लाल खटंगा ग्राम पंचायत भवन में मंगलवार को शिशु हत्या और असुरक्षित परित्याग पर ग्राम पंचायतों को जागरुक करने के उद्देश्य से साझा संकल्प-साझी सुरक्षा प्रोजेक्ट द्वारा कार्यशाला का आयोजन किया गया। पालोना और ऊर्जा एरोहैड के संयुक्त तत्वाधान में कार्यशाला का आयोजन किया। जिसमें नामकुम ब्लॉक के करीब 15 पंचायतों के मुखियाओं ने भाग लिया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पत्रकार सह पालोना की संस्थापक मोनिका आर्य ने शिशु हत्या जैसे जघन्य अपराध पर विस्तार से प्रकाश डाला। इससे जुड़े आंकड़ों के जरिए उन्होंने मुद्दे की भयावहता उजागर की। लगातार हो रही इन घटनाओं को कैसे रोका जाए, इसे रोकने को लेकर किस प्रकार के कदम उठाए जाने चाहिएं, इस बारे में भी उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित मुखियागणों को अवगत कराया और इस अपराध को रोकने में पंचायत प्रमुखों की भूमिका पर जोर दिया।
शिशुओं की हत्या और असुरक्षित परित्याग के लिए साथ मिलकर लड़ना होगाः मोनिका आर्य
साथ ही पत्रकार सह पालोना की संस्थापक मोनिका आर्य ने कहा कि नवजात शिशुओं की हत्या और असुरक्षित परित्याग को रोकने के लिए हम सभी को साथ मिलकर लड़ना होगा। हमें घटना को होने से रोकना होगा और ये तभी संभव है, जब हम इसके तमाम पहलुओं से अवगत हों और इसे रोकने के लिए कृत संकल्प भी। इसी दिशा में काम करते हुए पालोना इस वर्कशॉप के माध्यम से एक नई पहल करने जा रहा है। साझा संकल्प-साझी सुरक्षा नामक ये प्रोजेक्ट एडवोकेसी वर्कशॉप्स की सीरीज पर आधारित होगा, जिसका मुख्य फोकस ग्राम पंचायतों पर होगा। इसके लिए ऊर्जा एरोहैड से पालोना ने हाथ मिलाया है। वहीं, ऊर्जा एरोहैड की निदेशिका ऋचा चौधरी ने कहा कि संविधान की 11 अनुसूची में पंचायतों को 29 विषयों पर कार्य करना है। संविधान की धारा 243ळ के तहत उन्हें अपने क्षेत्र में विकास की पूरी स्वतंत्रता भी है। 29 विषयों में शिशु महिला विकास भी एक अहम विषय है। पंचायतों में बच्चों के अधिकार, बच्चों के विरुद्ध किसी भी प्रकार की हिंसा को समाप्त करने के लिए जान प्रतिनिधियों की भूमिका अत्यंत जरूरी है।

बच्चों की सुरक्षा के अंर्तगत ही नवजात शिशुओं का असुरक्षित परित्याग भी आता है। झारखंड में ये एक गंभीर विषय है। ऐसी घटनाओं की संख्या कुछ दिनों से ज्यादा हो रही है। इसकी रोकथाम के लिए जनप्रतिनिधियों का जागरूक होना जरूरी है। अगर ऐसी कोई घटना पंचायत में घटती है तो जनप्रतिनिधि होने के नाते उनकी क्या जिम्मेदारी है एवं क्या प्रक्रिया है, ये जानना उनके लिए जरूरी है। इस उन्मुखीकरण में हमारा यही प्रयास है।
वहीं कार्यशाला को संबोधित करते हुए रांची सीडब्लूसी की सदस्य अरुणा कुमारी ने सरकार की विभिन्न योजनाओं, जैसे एडॉप्शन, फॉस्टर और स्पॉंसरशिप केयर के बारे में विस्तार से जानकारी दी। जबकी रामगढ़ सीडब्लूसी सदस्य सह एडवोकेट आरती वर्मा ने सेफ सरेंडर पॉलिसी और उसकी प्रक्रिया की जानकारी देते हुए केस स्टडीज भी शेयर की। बाल कल्याण समिति से जुड़ी दोनों सदस्यों ने बच्चों से जुड़े कुछ अन्य मुद्दों जैसे बाल विवाह, बाल श्रम, बाल यौन शोषण पर भी संक्षिप्त चर्चा की। साथ ही मुखियागणों को भरोसा दिलाया कि बच्चों के संदर्भ में सीडब्लूसी के सपोर्ट की जब भी और जहां भी जरूरत होगी, दोनों सदस्य उन्हें तैयार मिलेंगी। कार्यक्रम के अंत में आशीष कुजारा मेमोरियल ट्रस्ट की सचिव संगीता कुजारा ने उपस्थित लोगों को संकल्प दिलवाया कि पंचायत के मुखियागण शिशु हत्या और असुरक्षित परित्याग को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएंगे। वे समाज में जागरूकता फैलाने, लोगों को अपने अबोध शिशु की सुरक्षा हेतु प्रोत्साहित करने और पुलिस के जरिए कड़ी कानूनी कार्रवाई करने के माध्यम से इस मुद्दे का समाधान करेंगे।

कार्यशाला में लाल खटंगा पंचायत की मुखिया पुष्पा तिर्की, लाली पंचायत की जीरेन टोपनो, आरा की नीता कच्छप, डुंगरी से जीतू कच्छप, टाटी ईस्ट से कृष्णा पाहन, माहिलोंग से संदीप तिर्की, मास्टर ट्रेनर प्रमोद ठाकुर आदि ने भाग लिया। कार्यक्रम के आयोजन में लाल खटंगा पंचायत के पूर्व मुखिया रीतेश कुमार का महत्वपूर्ण योगदान रहा। साथ ही प्रोजेश दास, राखी, संजय मिश्रा ने भी इसे सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।








