एनटीपीसी में रिटोरिक का फर्जीवाड़ा, सुलगते आग महज संयोग या सच्चाई!

0
173

सार्वजनिक बयान देने से आखिर क्यों बचते रहे हैं आरोपी और प्रबंधन? 

टंडवा (चतरा) एक साल के भीतर एनटीपीसी एरिया के अंदर हुई आगलगी की घटना ने इन दिनों फिर से गंभीर सवालिया निशान लगा रहा है कि अति संवेदनशीलता होने के बावजूद ये हज़ारों करोड़ रुपए की लागत से अधिष्ठापित परियोजना आखिर कितना सुरक्षित है? विगत लगभग 10 माह पूर्व 19 अप्रैल 24 को तब लगी आग घंटों धधकता रहा जिसपर बड़ा तबका भारी अनियमितता को लेकर उच्चस्तरीय जांच की मांग करता रहा। वहीं एक माह के भीतर हीं जीरो एरर की दुहाई देने वाला प्रबंधन दूसरी अनियमितता उजागर होते हीं फिर से सवालों में घिरने लगा है। चाहे वो आरटीपीएल (रिटोरिक) ट्रांसपोर्टिंग कंपनी द्वारा फर्जी चालान से अवैध धनोपार्जन का भेद खुलना जो बगैर प्रबंधन के प्रत्यक्ष भागीदारी कतई संभव नहीं बताया जाता। मजे की बात तो ये है कि ऐसे अनियमितता पर एनटीपीसी प्रबंधन द्वारा चुप्पी साधकर मानों अपनी मौन स्वीकार्यता खुलेआम सिद्ध कर रहा हो। वहीं शनिवार दोपहर में एकाएक उठी चिंगारी ने भी कई सवालों को सुलगा दिया है।

आरटीपीएल व उसके मददगारों के पीछे आखिर क्यों मेहरबान है एनटीपीसी प्रबंधन!?

हालांकि ये सहज और सटीक अनुमान लगाना बेहद जल्दबाजी होगा कि मेहरबानी के पीछे मूल वजह क्या है। लेकिन सूत्रों के दावे दिलचस्प हैं। बताया जाता है कि पिछले दिनों मिट्टी लोड वाहनों में फ्लाई ऐश का फर्जी चालान लेते पकड़े गये तीनों वाहन बतौर आरटीपीएल कंपनी में करोड़ों रुपए के निवेशक एक जिले के नेता का है। जिसके लगभग दस गाडियां फ्लाई ऐश ट्रांसपोर्टिंग करती है। उक्त ट्रांसपोर्टिंग कंपनी की गतिविधियां पूर्णतया संदिग्ध होने का दावा करते हुवे बताया जाता है कि यहां पांव रखने से पूर्व कंपनी के ऐसे गतिविधियों के कारण करोड़ों रुपए का बिल अधर में लटका हुआ है। ऐसे में क्या नुकसान भरपाई करने के लिए उन लोगों का एनटीपीसी सुरक्षित पनाहगार साबित होगा!?

अवैध कमाई के लिए क्या आंखें मूंदकर देखता रहा है प्रबंधन!?

प्रतिमाह लाखों रुपए के हेराफेरी होने की भनक प्रबंधन को कैसे नहीं हुआ ये लोगों के हलक से सहज नहीं उतरता! फर्जीवाड़े का मूल वजह एनटीपीसी में कांटा नहीं होना एवं दूसरा प्रबंधन द्वारा ऑफलाइन चालान देना है। ऐसे में क्या लाखों रुपए मेहताना पाने वाले अधिकारी जानबूझकर सरकारी राजस्व में प्रतिमाह लाखों- करोड़ों रुपए की सेंध जानबूझकर लगा रहे हैं ये केंद्रीय परियोजना की जांच केंद्रीय सत्ताधीश और जांच एजेंसियां हीं कर सकती हैं, जिसकी मांग अब लगातार तेज होने लगी है। हेराफेरी मामले में आरटीपीएल (रिटोरिक) कंपनी के प्रबंधक और उसके सहयोगी की प्रत्यक्ष भूमिका होने तथा एनटीपीसी प्रबंधन के एक वरीय अधिकारी का वरदहस्त होने के सनसनीखेज आरोप और अनुमान के बावजूद भी आरोपियों ने चुप्पी साध रखी है। मानों मूकदर्शी होकर वे अपना मौन स्वीकार्यता सिद्ध कर रहे हों।