Wednesday, October 23, 2024

मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट में बेरोजगारी से निपटने का रोडमैप तैयार, मिलेगा 4.10 करोड़ युवाओं को रोजगार, ईपीएफओ में पहले महीने का अंशदान भी देगी केंद्र सरकार

न्यूज डेस्क
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 में प्रमुख मुद्दा बने बेरोजगारी की समस्या से निपटने पर मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट में पूरा ध्यान दिया गया। क्योंकी वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में रोजगार शब्द का इस्तेमाल 57 बार किया। बजट की नौ प्राथमिकताओं में भी रोजगार और कौशल विकास दूसरे स्थान पर है। सीतारमण के अनुसार आने वाले दो से चार साल में इससे चार करोड़ 10 लाख युवाओं को रोजगार मिलेगा और इस पर दो लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा। प्रधानमंत्री रोजगार और कौशल प्रशिक्षण पैकेज के तहत निजी कंपनियों के लिए तीन तरह के प्रोत्साहन की घोषणा की गई है। पहले प्रोत्साहन पैकेज के तहत निजी कंपनी में पहली बार नौकरी पाने वाले युवा की पहले महीने के वेतन का भुगतान सरकार की ओर से किया जाएगा। इसके लिए शर्त यह है कि उस युवा का वेतन प्रति महीना एक लाख रुपये से कम होना चाहिए। पहले महीने के इस वेतन का भुगतान तीन किस्तों में किया जाएगा, लेकिन दूसरी किस्त जारी होने के पहले युवा को ऑनलाइन वित्तीय साक्षरता का पाठ्यक्रम सीखना अनिवार्य होगा। इसके लिए प्रति युवा अधिकतम सहायता की राशि 15 हजार रुपये निर्धारित की गई है। 12 महीने से पहले नौकरी से निकालने की स्थिति में नियोक्ता कंपनी को सरकार द्वारा दी गई राशि को वापस करना होगा।

खर्च होंगे 23 हजार करोड़

दो साल तक चलने वाले इस योजना पर 23 हजार करोड़ रुपये का खर्च होंगे। इसके साथ ही ईपीएफओ में अंशदान करने वाले नियोक्ताओं को विनिर्माण क्षेत्र में नई नौकरी सृजित करने पर सहायता दी जाएगी। इसके तहत ईपीएफओ में जमा होने वाली नियोक्ता और कर्मचारी के एक हिस्से का भुगतान सरकार करेगी। शर्त यह है कि नौकरी पाने वाला युवा पहले कभी ईपीएफओ में शामिल नहीं हुआ हो यानी पहली बार नौकरी पर आया हो और उसका वेतन प्रतिमाह एक लाख रूपये से अधिक नहीं हो। ईपीएफओ में अंशदान में मिलने वाली यह सहायता पहली बार नौकरी की स्थिति में पहला महीना के वेतन के रूप में दी जाने वाली सहायता से अलग होगी। सरकार का अनुमान है कि इससे दो सालों में 30 लाख युवाओं को रोजगार मिलेगा और इस पर कुल 52 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसके साथ ही बड़े पैमाने पर पहली बार रोजगार देने वाले नियोक्ताओं के लिए अलग से वित्तीय सहायता का एलान किया गया है। इसके अलावा एक साल में 50 या उससे अधिक नई नौकरी सृजित करने वाले कारपोरेट और गैर-कारपोरेट प्रतिष्ठानों में पहली बार नौकरी पाने वाले युवाओं के वेतन का एक हिस्सा सरकार देगी। इसके तहत पहले और दूसरे साल में वेतन का 24 फीसद प्रोत्साहन राशि के रूप में दिया जाएगा, तीसरे साल में यह राशि वेतन का 16 फीसद और तीसरे साल में आठ फीसद हो जाएगी।

प्रोत्साहन राशि नियोक्ता और कर्मचारी के बीच बराबर-बराबर बांटा जाएगा। इसमें भी एक लाख रुपये प्रतिमाह से कम वेतन होने की शर्त है। लेकिन प्रतिमाह 25 हजार से अधिक का वेतन होने की स्थिति में भी प्रोत्साहन राशि 25 हजार रुपये के वेतन के हिसाब से ही जाएगी। इससे 50 लाख युवाओं को नौकरी मिलने का अनुमान है और इस पर 32 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा।

एक करोड़ युवाओं को पांच साल में प्रशिक्षण

कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में सभी युवाओं के इंटर्नशिप देने के वायदे को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था। कांग्रेस के घोषणापत्र में एक साल के 8,500 रुपये प्रति महीने की इंटर्नशिप का वादा किया गया था। निर्मला सीतारमण ने बजट में देश की 500 बड़ी कंपनियों में पांच सालों में एक करोड़ युवाओं के लिए प्रशिक्षण का एलान किया है।

21 से 24 साल के युवा कर सकेंगे आवेदन

प्रशिक्षण के दौरान युवाओं को हर महीने पांच हजार रुपये की इंटर्नशिप मिलेगी। प्रशिक्षण की लागत कंपनी के सीएसआर फंड से वहन की जाएगी। इस योजना के तहत 21 से 24 साल के युवा आवेदन कर सकते हैं। एक करोड़ युवाओं के इंटर्नशिप पर कुल 63 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसके अलावा सरकार ने अगले पांच साल में 30 हजार करोड़ रुपये की लागत से 1000 आईटीआई का उन्नयन करने का भी एलान किया है। इससे 20 लाख युवाओं का कौशल विकास किया जा सकेगा।

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