हेमंत सोरेन ने कहा पूरे देश के लिए संदेश है झारखंड हाईकोर्ट का फैसला
न्यूज स्केल डेस्क
रांची। पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जमीन घोटाला मामले में शुक्रवार 28 जून को झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर आ गए। उन्हें रिसीव करने के उनकी पत्नी कल्पना सोरेन जेल पहुंचीं थी। श्री सोरेन रांची के बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल से बाहर आते ही मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि कोर्ट ने जो बातें कहीं हैं, उसकी आपलोग समीक्षा करें और उसके बारे में जनता को बताएं। आगे कहा कि झारखंड हाईकोर्ट का यह फैसला पूरे देश के लिए संदेश है। कहा कि मुझे झूठे आरोपों में पांच महीने जेल के अंदर रखा गया। सुनियोजित तरीके से लोगों की आवाज दबाई जा रही है। दिल्ली में मुख्यमंत्री जेल में बंद है। मंत्रियों को जेल में डाल दिया जा रहा है। न्याय की प्रक्रिया इतनी लंबी हो रही है कि न्याय मिलने में कई महीने लग रहे हैं। मेरे मामले में कोर्ट के आदेश का आपको आंकलन करना चाहिए। देखना चाहिए कि उसमें क्या कहा गया है। आज मेरी जेल यात्रा खत्म हुई। पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घर पहुंचने के बाद सबसे पहले पिता शिबू सोरेन और मां रूपी सोरेन का आशीर्वाद लिया। झारखंड हाईकोर्ट के जज जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय ने हेमंत सोरेन को जमानत देते हुए अपने 55 पेज के फैसले में कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय का पूरा मामला संभावनाओं पर आधारित है। इस केस में इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं है कि 8.86 एकड़ जमीन के कब्जे में हेमंत सोरेन की कोई सीधी भूमिका है। यह भी साबित नहीं होता कि इसकी आड़ में याचिकाकर्ता ने कोई अपराध किया है। जस्टिस श्री मुखोपाध्याय ने अपने फैसले में लिखा है कि किसी भी रजिस्टर/रेवेन्यू रिकॉर्ड में इस बात के पुख्ता सबूत नहीं हैं कि हेमंत सोरेन ने इस जमीन को खरीदा है या उस पर किसी तरह से कब्जा किया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि पीएमएलए एक्ट 2002 की धारा 50 के तहत कुछ लोगों ने बयान दर्ज कराए हैं। जिसमें लोगों ने कहा है कि वर्ष 2010 में हेमंत सोरेन ने उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया। कोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त किया है कि जिन लोगों ने ईडी के समक्ष बयान दिया कि याचिकाकर्ता ने उनकी जमीन पर दखल कर लिया, उन्होंने इसके खिलाफ कहीं शिकायत नहीं की। कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता जब सत्ता से बाहर था, तब अपनी जमीन से बेदखल किए गए ये लोग संबंधित अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज करा सकते थे और न्याय मांग सकते थे। कोर्ट ने केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी के उस दावे को भी सही नहीं माना है, जिसमें ईडी ने दावा किया है कि उसने समय पर कार्रवाई की, जिसकी वजह से रिकॉर्ड से छेड़छाड़ करके जमीन को बिकने से बचाया जा सका। इसलिए कोर्ट के पास इस बात के पर्याप्त कारण हैं कि याचिकाकर्ता को इस मामले में निर्दाेष मानते हुए जमानत दे दी जाए।
50-50 हजार के 2 निजी मुचलके पर दी गई जमानत
कोर्ट ने 50-50 हजार रुपए के 2 निजी मुचलके पर हेमंत सोरेन को जमानत दिया है। बेल बांड भरे जाने के बाद हेमंत सोरेन जेल से बाहर आ गए। वहीं हेमंत सोरेन को जमानत देते हुए कोर्ट ने कहा कि वह बेल पर रहने के दौरान कुछ गलत नहीं करेंगे। कोर्ट ने इस मामले में रंजीतसिंह ब्रह्मजीतसिंह शर्मा बनाम महाराष्ट्र सरकार एवं अन्य का उदाहरण भी दिया।