8 साल बाद अपने पिता से मिली बच्ची…

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12 वर्ष के उम्र में 2015 में भटक गई थी बच्ची, 8 साल बाद अपने पिता से मिली

न्यूज स्केल ब्यूरो के कुमार
देवघरः बच्चों के लिए परिवार ही सबसे बेहतर स्थाना होता है। लेकिल जब कोई बच्चा किसी कारन परिवार से बिछड़ जाए तो उस बच्चे के लिए वहीं से समस्या प्रारंभ हो जाती है, उसमें भी किसी बच्ची के लिए। ऐसा ही हुआ झारंखंड के पालोजोरी प्रखंड के बच्ची पार्वती कुमारी के साथ। वर्ष 2015 में पार्वती 12 वर्ष की उम्र में भटक गई थी। जिसे प्रशासन ने बाल गृह में रखा था। उस दौरान बच्ची अपने घर का पता बताने में असमर्थ थी, कई बार काउंसलिंग में भी कुछ जानकारी नहीं दे पा रही थी। इसी बीच वर्ष 2020 में पार्वती किसी प्रकार बालिका गृह से भाग गई, जिसे राजस्थान में प्रशासन के द्वारा प्राप्त कर सीडब्ल्यूसी को सौंपा गया। उसे बाद वहीं की सीडब्ल्यूसी के द्वारा देवघर सीडब्ल्यूसी को बच्ची पार्वती ट्रांसफर कर दी गई और बच्ची पुनः वापस देवघर बालिका गृह में रहने लगी। इस दौरान पार्वती कढ़ाई, बुनाई, झाड़ू बनाना आदि कई कला-कौशल सीखा। वहीं काफी संघर्षों के बाद डीएलएसए एवं सीडब्ल्यूसी के सहयोग से उसके पिता को खोज निकाला गया। उसे उपरांत दिनांक 2 मई 2023 को पार्वती के पिता न्यायालय के समक्ष पेश हुए और बच्ची ने अपने पिता की पहचान की। ऐसे में पार्वती अपने पिता से 8 साल बाद मिलकर काफी खुश हुई। बच्ची की मां बचपन में हीं गुजर गई थीं और परिवार की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय है। कानूनी प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद न्यायालय के आदेश से पार्वती को उसके पिता को सौंप दिया गया। डीएलएसए सेक्रेटरी मयंक टोपनो का पूर्ण सहयोग इस मामले में रहा है और उनके द्वारा कहा गया कि बालिका एवं उसके परिवार को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए हर तरह का आर्थिक मदद किया जाएगा। साथ ही बालिका एवं उसके परिवार को सरकार के कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने हेतु संबंधित प्रखंड विकास पदाधिकारी एवं सीओ को पत्र प्रेषित किया जा रहा है। सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष कौशल कुमार के द्वारा बताया गया कि उक्त बालिका का आफ्टर केयर के रूप में रिपोर्ट अधिकतम 1 वर्ष तक लिया जाएगा और फॉलोअर प्रतिवेदन के अनुसार कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने की अनुशंसा एवं एकमुश्त सहायता राशि की अनुशंसा सरकार से की जाएगी। बाल गृह में जो प्रशिक्षण दिया गया है उसके कौशल दक्षता के अनुसार उसका प्राक्कलन बनाते हुए उसको एक मुफ्त सहायता राशि प्रदान की जाएगी। वहीं प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश दिवाकर पाण्डेय के द्वारा कहा गया की बच्चों के मामलों को गंभीरता से लिया जाए तथा ऐसे बच्चों को चिन्हित कर इनके परिवार आधारित देख भाल तथा पुनर्वास पर कार्य की जाय। मौके पर डीएलएसए सेक्रेटरी, सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष, सदस्य देवेंद्र पांडेय, कुंडा थाना प्रभारी तथा अन्य मौजूद थे।