राजकीय इटखोरी महोत्सव के दूसरे दिनः
भारतीय इतिहास में इटखोरी के पुरातात्विक महत्व पर सेमिनार का हुआ आयोजन
इटखोरी (चतरा)। सोमवार को तीन दिवसीय राजकीय इटखोरी महोत्सव के दूसरे दिन जिला प्रशासन द्वारा भारतीय इतिहास में इटखोरी के पुरातात्विक महत्व पर माता भद्रकाली मंदिर परिसर क्षत्र में सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार का शुभारंभ मुख्य अतिथि श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता व उपायुक्त अबू इमरान आदि अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। सेमिनार में पर्यावरण सरक्षण को लेकर मंत्री को उपायुक्त ने पौधा भेंट किया। मंच संचालक मीनाक्षी कुमारी ने किया। बंगाल के पुरातत्वविद प्रो. रूपेंद्र चटोउपाध्याय ने कहा कि मानव धर्म द्वारा नैतिक प्रकाश बढ़ाने का संदेश तीन धर्मों का यह संगम स्थल देता है। यहां नवीं व दसवीं शताब्दी में भी तीन धर्मों का संगम रहा है। सहायक अधीक्षण पुरातत्व विभाग रांची के नीरज मिश्रा ने कहा कि यह स्थल सामाजिक एवं सांस्कृतिक को दर्शाता है। मूर्तियों में जो अभिलेख होती हैं वह अपने आप को कालखंड को बयान करती हैं। यह महोत्सव इटखोरी के लिए मील का पत्थर साबित होगा। इटखोरी के प्रस्ताव के महत्व पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग काफी गंभीर है। विभाग के प्रयास से देश स्तर पर बड़े-बड़े इतिहासकारों द्वारा तीन धर्मों के इस स्थल में मिले अवशेषों की जांच की जा रही है। वहीं सहायक सर्वेक्षण विभाग नई दिल्ली कि अर्पिता रंजन ने कहा कि मैंने भद्रकाली मंदिर में मिले पत्थर के अवशेष भद्रकाली माता की मूर्ति और देहर में कमला माता मंदिर तथा शोहरा गांव में पत्थर के मूर्तियों पर शोध कर चुकी हुं। मंदिर में पाए जाने वाले अवशेष बलवाही मिट्टी व काले पत्थर की बनी है। उपायुक्त ने कहा कि पुरातत्व विभाग के इस सेमिनार से छात्रों को बहुत ही ज्ञान प्राप्त होगी। यूपीएससी की पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए औश्र भी ज्ञानवर्धक होगा। वक्ताओं व अतिथियों को जिला प्रशासन द्वारा मोमेंटो एवं साल देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान चतरा के देय इंस्टीट्यूट के संचालक प्रिंस कुमार को भी उपायुक्त द्वारा सम्मानित किया गया। मौके पर अपर समाहर्ता पवन कुमार मंडल, एसडीओ मुमताज अंसारी, भद्रकाली महाविद्यालय के प्राचार्य दुलार ठाकुर, सुजीत भारती समेत भारी संख्या में लोग शामिल थे।