न्यूज स्केल संवाददाता
प्रतापपुर (चतरा)। शारदीय नवरात्र के अवसर पर प्रतापपुर प्रखंड मुख्यालय स्थित मध्य विद्यालय परिसर में नव दिवसीय रामायण कथा प्रवचन कार्यक्रम के दूसरे दिन शिव विवाह की कथा कथा वाचिका साध्वी रसिक उमा जी ने द्वारा सुनाई गई। उन्होंने प्रवचन के माध्यम से कहा कि भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है। भगवान नदी पर उल्टा सवार होकर पूछ पकड़ कर बैठे हैं और पूछ धर्म का प्रतीक है। उन्होंने यह बताया कि भगवान यह संदेश दे रहे हैं कि यदि आप गृहस्थ जीवन में प्रवेश कीजिए तो धर्म को पकड़े रहिए धर्म के साथ नहीं छोड़िए। हाथ में त्रिशूल लिए हुए हैं और यह त्रिशूल के तीन शुल जो है वह काम क्रोध और लोभ के प्रतीक हैं। जिसे भगवान अपने नियंत्रण में लेकर चल रहे हैं। जो बताते हैं कि आप अपने जीवन में काम क्रोध लोभ को अपने नियंत्रण में रखें। भगवान शिव के हाथों में डमरू भी है जो वेद मंत्र का प्रतीक है। वेदों द्वारा बताएं मार्ग पर भगवान अनुसरण करते हैं। कथा कहने के क्रम में साध्वी उमा जी ने कहा कि भगवान को प्राप्त करने का सबसे सरल उपाय उपरोक्त मार्गों का अनुसरण करते हुए गृहस्थ आश्रम है। सभी भगवान ने विवाह किया और गृहस्थ आश्रम प्राप्त किया है। कथा समापन के बाद आरती और प्रसाद वितरण किया गया।