*जीवन की बुराइयां शिव पर अर्पण करना ही सच्ची शिवरात्रि मनाना*

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झारखण्ड/गुमला – प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय शाखा शिव दर्शन भवन में 89वीं त्रिमूर्ति शिव जयंती पूरे हर्षोल्लाह के साथ मनाई गई ।मौके पर परमात्मा शिव के प्रतिमा पर पत्र, पुष्प और माला अर्पण कर, शिव ध्वज फहराते हुए समस्त बुराइयों से दूर रहने हेतु प्रतिज्ञा ली गई।इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला शिक्षा पदाधिकारी कविता खलखो के द्वारा शिव ध्वजारोहण किया गया साथ ही उन्होंने कहा कि शिव परमपिता परमात्मा विश्व कल्याणकारी इस धरा पर अवतरित होकर विश्व को सुखमय संसार बनाने का कार्य कर रहे हैं । सौभाग्य पूर्वक कार्यक्रम में शामिल होकर मुझे बहुत ही सुखद अनुभूति हो रही है। सेवानिवृत्ति जिला प्रधान सत्र न्यायाधीश ओमप्रकाश पांडे ने कहा कि इस कलयुग कालरात्रि में शिव भोलेनाथ पधारकर इस संसार से कल क्लेश मिटाकर एक नई सतयुग की दुनिया स्थापना करते हैं जिसमें हर मनुष्य का जीवन सुख शांति से भरपूर होता है। मौके पर सेवाकेंद्र संचालिका राजयोगिनी शांति दीदी ने शिवरात्रि के आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महाशिवरात्रि का महापर्व कई आध्यात्मिक रहस्यों को समेटे हुए हैं। यह पर्व सभी पर्वों में महान और श्रेष्ठ है, क्योंकि शिवरात्रि परमात्मा के दिव्य अवतरण का यादगार महापर्व है। परमात्मा ने श्रीमद् भागवत गीता में कहा है।
गीता श्लोक में किए अपने वादे के अनुसार- परमात्मा कहते हैं कि जब-जब इस सृष्टि पर धर्म की अति ग्लानि हो जाती है, अधर्म और पाप कर्म बढ़ जाते हैं, तब मैं भारत सहित पूरी सृष्टि का उत्थान करने और नई दुनिया की सृजन करने साकार रूप में लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूं। मैं इस धरा पर अवतरित होकर सज्जन-साधु लोगों की रक्षा, दुष्टों का विनाश और एक सतधर्म की स्थापना करता हूं। चारों युगों में कल्प के अंत में एक बार ही मेरा इस धरा पर अवतरण होता है।
परमात्मा के गीता में वर्णित इन महावाक्यों के अनुसार, वर्तमान में वही समय नई सृष्टि के सृजन का संधिकाल चल रहा है। इसमें सृष्टि के सृजनकर्ता स्वयं नवसृजन की पटकथा लिख रहे हैं। वह इस धरा पर आकर मानव को देव समान स्वरूप में खुद को ढालने का गुरुमंत्र ‘राजयोग’ सिखा रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात दुनिया की यह सबसे बड़ी और महान घटना बहुत ही गुप्त रूप में घटित हो रही है। वक्त की नजाकत को देखते हुए जिन्होंने इस महापरिवर्तन को भाप लिया है वह निराकार परमात्मा की भुजा बनकर संयम के पथ पर बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे लोगों की संख्या एक दो नहीं बल्कि लाखों में है। इन्होंने न केवल परमात्मा की सूक्ष्म उपस्थिति को महसूस किया है वरन इस महान कार्य के साक्षी भी हैं।
महाशिवरात्रि पर्व पर हम शिवालयों में अक-धतूरा, भांग आदि अर्पित करते हैं। इसके पीछे आध्यात्मिक रहस्य यह है कि जीवन में जो कांटों के समान बुराइयां हैं, गलत आदतें हैं, गलत संस्कार हैं, कांटों के समान बोल, गलत सोच को आज के दिन शिव पर अर्पण कर मुक्त हो जाएं। हम दुनिया में देखते हैं कि दान की गई वस्तु वापस नहीं ली जाती है। इसी तरह परमात्मा पर आज के दिन अपने जीवन की कोई एक बुराई जो हमें आगे बढ़ने से रोक रही है, सफलता में बाधक है उसे शिव को सौंपकर मुक्त हो जाएं। अपने जीवन की समस्याएं, बोझ उन्हें सौंप दें। फिर आपकी जिम्मेदारी परमात्मा की हो जाएगी।
कार्यक्रम में व्यवसायी पवन अग्रवाल, संजय अग्रवाल, संतोष अग्रवाल, बीके ममता , बीके सुचिता , बीके मंजू, केदार प्रसाद, मंगल भाई, सुधीर भाई, विनय भाई ,अमित भाई ,ज्योति , रेणुका के साथ सैकड़ो की संख्या में भाई-बहन मौजूद थे।