लोहरदगा। नहाय खाय के साथ मंगलवार को प्रारंभ हुआ छठ महापर्व के दूसरे दिन बुधवार को व्रतियों ने विधिवत सूर्य उपासना कर संध्या खरना पूजा की। खरना पूजा के बाद व्रतियों के यहां प्रसाद के लिए श्रद्धालुओं का भीड़ उमड़ पड़ी। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने देर रात्रि तक व्रतियों कें घरो में पहुचकर महाप्रसाद ग्रहण किए। व्रतियों के घरो में छठ का उत्सव छाया हुआ है। खरना को लेकर उत्साह के साथ श्रद्धालू छठ पूजा में भागीदारी निभा रहे है। छठ पर आधारित भक्तिमय गीतों की स्वर लहरियां सभी ओर सुनाई पड़ रही है। इससे वातावरण भक्तिमय बन गया है। गुरुवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अध्र्य देने की तैयारियां जोर शोर से व्रतियों और श्रद्धालुओ द्वारा की जा रही है। खरना के दिन सुबह से खिर भोजन का प्रसाद बनाने के लिए दूध की खोज में श्रद्धालू निकले। शहरी क्षेत्र समेत आसपास के गांवो से दूध की व्यवस्था कर व्रतियों कें यहां पहुचाया गया। महिलाएं खिर भोजन मे उपयोग मे आनेवाली चावल और वर्तनों को पवित्रता के साथ साफ सफाई की। बाजार में लाल गेहू, चावल, फल, दोना, पत्तल, मिटटी के वर्तन, कपड़ा, पूजा सामग्री की खरीददारी की गई। शहर के बाजार छठ के सामानों से सजे है। सूप दौरा, फल व कपड़ा दुकान में छठ की खरीददारी की जा रही है। स्थानीय छठ बाजार में सूप दौरा समेत अन्य पूजा के उपयोग में आने वाले सामानो के दाम आसमान छू रहे है। सामानो की बढ़ती कीमत के बावजूद छठ की खरीददारी का उत्साह देखते बन रहा है।
छठ व्रतियो के लिए तैयार है छठ तालाब
लोहरदगा । गुरुवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अध्र्य देने के लिए स्थानीय छठ तालाब व घाटो की साफ सफाई पूरी कर ली गई है। तालाबो में ब्लिचिंग पाउडर, चूना, पोटाश आदि डालकर तालाब का पानी को साफ किया जा चुका है। अब छठ व्रतियो को किसी प्रकार की असहुलियत नहीं होगी। स्थानीय छठ तालाब की साफ सफाई को लेकर नगर परिषद प्रशासन व छठ पूजा समिति के जागरुक युवाओ ने योगदान दिया। तालाबो का जलशोधन करने के लिए कर्मियो को काफी माक्कत करनी पड़ी। स्थानीय बड़ा तालाब, ठकुराईन तालाब, बौली बगीचा तालाब, बौली तालाब समेत षंख व सिठियो कोयल नदी में श्रद्धालु बड़ी संख्या में जाते है। छठ घाटो में उचित प्रकाश व्यवस्था के लिए छठ पूजा समिति के युवाओं ने काफी योगदान दिया। श्रद्धालुओ की सुविधा के लिए नदी व तालाबो के किनारे चारो ओर प्रकाश की व्यवस्था किया गया है। इधर सेन्हा प्रखंड स्थित सेरेंगहातू तोड़ार स्थित कोयल नदी में छठ पूजा समिति सेरेंगहातू तोड़ार के युवाओं द्वारा छठ व्रतियों की सुविधा के लिए तैयारियां किया गया है। छठ व्रतियो की सुविधा के लिए पूजन सामग्री, दूध, फल के अलावे चिकित्सा सुविधा की भी व्यवस्था रहेगी।

हरमू नदी घाट में लगता है मेला
लोहरदगा। सूर्य देव और छठ मईया की उपासना का महापर्व छठ लोहरदगा में यूं तो पूरे भक्ति भाव के साथ शहर से लेकर गांव तक के नदी-तालाबों में आस्था और विश्वासपूर्वक मनाया जाता है, परंतु कोयल-शंख संगम पर हरमू नदी घाट में हर साल हजारों लोगों की भीड़ के बीच आस्था का मेला लगता है। शहर से महज डेढ़-दो किमी दूर लोहरदगा-रामपुर पथ में हरमू कोयल नदी घाट पर हर साल हजारों लोग छठ मईया और सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करने को लेकर उमड़ते हैं। साल 2005 में यहां पर छठ महापर्व की शुरुआत हुई थी। समाज सेवी राजेंद्र राम वर्मा ने इसके लिए पहल की थी। हरमू रोड नदिया निवासी जनार्दन राम वर्मा के पुत्र राजेंद्र राम वर्मा ने शहरी क्षेत्र के तालाबों में बढ़ते प्रदूषण और भीड़ को देखते हुए रास्ता सुझाया था। इसके लिए उन्होंने स्थानीय लोगों की सहायता ली। राजेंद्र राम वर्मा की इस पहल में स्थानीय निवासी बिहारी साहु, अशोक राउत व प्रदीप साहु ने सहयोग किया। उन दिनों हरमू घाट जाने के लिए न तो बेहतर सड़क थी और न ही प्रकाश की व्यवस्था। बावजूद इसके स्थानीय लोगों ने अपने-अपने घर के बाहर दीया जलाकर छठ व्रतियों के लिए प्रकाश की व्यवस्था शुरू की। स्थानीय युवाओं ने छठ घाट की साफ-सफाई और अन्य सुविधा मुहैया कराया। धीरे-धीरे यहां पर लोगों का आना शुरू हुआ। वर्तमान में हजारों की भीड़ कोयल-शंख संगम तट पर भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करती है। यह स्थान प्रकृति की अनुपम सुंदरता का परिचायक भी है। पत्थरों के बीच से कल-कल कर बहता पानी, शुद्ध वातावरण, पूर्व दिशा की ओर से ग्रामीण परिवेश में सूर्योदय का दृश्य लोगों को बरबस ही मोहित करता है।